नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को उनके जन्मदिन पर बधाई दी और उनके दीर्घायु होने एवं उत्तम स्वास्थ्य की कामना की। सबसे लंबे समय तक कांग्रेस की अध्यक्ष रहीं सोनिया गांधी ने स्वास्थ्य कारणों के चलते पिछले कुछ वर्षों से सक्रिय राजनीति से दूरी बना ली है। उनके बेटे राहुल गांधी और बेटी प्रियंका गांधी वाड्रा पार्टी में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। सोनिया गांधी राज्यसभा सदस्य तथा कांग्रेस ससंदीय दल की अध्यक्ष हैं। वह सोमवार को 78 साल की हो गई हैं। पीएम मोदी ने अपने सोशल मीडिया हैंडल ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘श्रीमती सोनिया गांधी को जन्मदिन की बधाई। मैं उनके दीर्घायु होने और उत्तम स्वास्थ्य की प्रार्थना करता हूं।
जब पहली बार सोनिया ने राजीव को देखा
सोनिया 07 जनवरी 1965 को कैंब्रिज पहुंचीं। यहां काफी विदेशी युवा पढ़ाई के लिए आते हैं। उन्हें इसी कैंपस में एक ग्रीक रेस्तरां मिला, जो इतालवी खाना भी खिलाता था उसका नाम था वर्सिटी। ये यूनिवर्सिटी के युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय था। सोनिया ने नियमित तौर पर यहीं खाना शुरू कर दिया। राजीव गांधी भी अक्सर दोस्तों के साथ यहां आया करते थे। यहीं सोनिया ने राजीव को देखा. वो शांत, सुंदर और बेहद विनम्र थे। एक दिन जब सोनिया वहां लंच कर रही थीं तब राजीव उनके कॉमन मित्र क्रिस्टियन वॉन स्टीगलिज के साथ आए। तभी उनका आपस में परिचय हुआ।
ऐसे शुरू हुई सियासी पारी
1968 में सोनिया से शादी के बाद राजीव उन्हें भारत ले आए। राजीव ने राजनीति से दूरी बनाकर एक एयरलाइन पायलट के रूप में अपना करियर चुना था। 1980 में संजय गांधी के निधन के बाद राजीव गांधी राजनीति में आए। 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव प्रधानमंत्री बने। सोनिया गांधी ने इस दौरान राजनीति से दूरी बनाए रखी और कला संरक्षण के क्षेत्र में काम किया लेकिन 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद सोनिया गांधी को कांग्रेस का नेतृत्व संभालने का प्रस्ताव मिला, जिसे उन्होंने शुरुआत में ठुकरा दिया।
1998 में सोनिया गांधी ने कांग्रेस पार्टी की कमान संभाली। उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने 2004 में लोकसभा चुनाव जीता और यूपीए गठबंधन का गठन किया। हालांकि, उन्होंने प्रधानमंत्री पद स्वीकार करने के बजाय मनमोहन सिंह को यह जिम्मेदारी सौंपी। 2004 में यकीनन देश की सबसे महत्वपूर्ण कुर्सी पर सोनिया की ताजपोशी का रास्ता साफ था। 2009 में एक बार फिर उनके लिए ऐसा ही मौका था। उन्होंने दोनों ही मौकों पर इसे ठुकराया और खुद की जगह डॉक्टर मनमोहन सिंह को नामित किया। सोनिया के इस फैसले ने सभी को चकित कर दिया था। दस साल तक डॉक्टर मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री रहे लेकिन सत्ता की डोर गांधी परिवार के हाथों में रहने के संदेश ने उनकी स्थिति दयनीय बनाए रखी।