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पूर्व उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने वीर बाल दिवस पर साहिबजादों को श्रद्धांजलि अर्पित की; बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर अत्याचारों की कड़ी निंदा की

रिपोर्ट – अनुराग श्रीवास्तव

कानपुर, वीर बाल दिवस के पावन अवसर पर कानपुर में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद डॉ. दिनेश शर्मा ने मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। इस कार्यक्रम में किदवई नगर के विधायक महेश त्रिवेदी तथा क्षेत्रीय अध्यक्ष प्रकाश पाल सहित कई भाजपा नेता और कार्यकर्ता उपस्थित रहे। कार्यक्रम का आयोजन सिख इतिहास के गौरवशाली अध्याय को याद करने और नई पीढ़ी को प्रेरित करने के उद्देश्य से किया गया था।

डॉ. दिनेश शर्मा ने अपने संबोधन में सिख धर्म के दसवें गुरु, श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के चारों साहिबजादों साहिबजादा अजीत सिंह, साहिबजादा जुझार सिंह, साहिबजादा जोरावर सिंह और साहिबजादा फतेह सिंह के अतुलनीय बलिदान को याद किया। उन्होंने कहा कि इन वीर बालकों ने कम उम्र में ही धर्म, सत्य और न्याय की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। विशेष रूप से छोटे साहिबजादों जोरावर सिंह (9 वर्ष) और फतेह सिंह (6 वर्ष) को मुगल शासक वजीर खान द्वारा जिंदा दीवार में चिनवा दिए जाने की घटना को याद करते हुए डॉ. शर्मा ने कहा, “यह बलिदान न केवल सिख पंथ का गौरव है, बल्कि पूरे राष्ट्र और मानवता के लिए साहस, त्याग और अटूट आस्था की मिसाल है। इन बालकों ने धर्मांतरण के प्रलोभन और क्रूर यातनाओं के सामने भी झुकने से इनकार कर दिया।”

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सराहना करते हुए कहा कि 26 दिसंबर को ‘वीर बाल दिवस’ के रूप में राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता देकर सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। इससे नई पीढ़ी हमारे गौरवशाली इतिहास, संस्कृति और बलिदान की परंपरा से जुड़ रही है। डॉ. शर्मा ने जोर देकर कहा कि यह दिवस हमें सिखाता है कि कठिनाइयों में भी नैतिकता और साहस से कभी समझौता नहीं करना चाहिए।

कार्यक्रम के बाद मीडिया से बातचीत में डॉ. दिनेश शर्मा ने पड़ोसी देश बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदू समुदाय पर हो रहे अत्याचारों पर गहरी चिंता व्यक्त की। हाल के दिनों में बांग्लादेश में हिंसा की कई घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें हिंदू मंदिरों पर हमले, घरों में आगजनी और व्यक्तिगत हमले शामिल हैं। एक युवा हिंदू कार्यकर्ता की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या और उसके शव को जलाने जैसी क्रूर घटनाओं का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, “बांग्लादेश सरकार को यह याद रखना चाहिए कि भारत अपने नागरिकों और विदेशों में रहने वाले अपने धर्म-भाइयों के हितों की रक्षा के लिए पूरी तरह सजग और सतर्क है। अत्याचार की एक सीमा होती है। भारत कूटनीतिक और रणनीतिक स्तर पर हर संभव तैयारी कर रहा है।

 

 

डॉ. शर्मा ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से भी अपील की कि अल्पसंख्यकों पर हो रहे इन अत्याचारों पर चुप्पी न तोड़ी जाए। उन्होंने कहा कि ऐसे अत्याचार न केवल मानवाधिकारों का उल्लंघन हैं, बल्कि क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए भी खतरा हैं। इसके अलावा, क्षेत्रीय राजनीति पर सवालों के जवाब में डॉ. शर्मा ने स्पष्ट किया कि भारतीय जनता पार्टी में जाति या धर्म की राजनीति के लिए कोई जगह नहीं है। भाजपा एकजुट परिवार की तरह है, जहां हर कार्यकर्ता का सम्मान होता है और सभी राष्ट्र निर्माण के लिए समर्पित हैं। उन्होंने सरकार की विभिन्न योजनाओं जैसे किसान सम्मान निधि, आयुष्मान भारत और आवास योजनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि ये योजनाएं समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंच रही हैं। विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि ये निराधार हैं और विकास कार्यों की गति को रोकने का प्रयास मात्र हैं।

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the authorBRIJESH SINGH