मऊ। घोसी उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी दारा सिंह चौहान को करारी शिकस्त मिली है। सपा प्रत्याशी सुधाकर सिंह को जहां 57.19 फीसदी (1.24 लाख 427) वोट मिले हैं। वहीं, दारा सिंह चौहान को 37.54 फीसदी (81,668) वोट मिले हैं। यह सपा प्रत्याशी को मिले कुल मत से 19.65 फीसदी कम हैं।
घोसी उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी दारा सिंह चौहान को 455 में से 327 बूथों पर हार का सामना करना पड़ा है। इसका आधिकारिक आंकड़ा शनिवार को चुनाव आयोग की तरफ से जारी किया गया। इसके मुताबिक भाजपा को 128 बूथों पर ही बढ़त मिली थी। मुस्लिमों ने सपा के पक्ष में जमकर मतदान किया है। ज्यादातर मुस्लिम बहुल बूथों पर भाजपा को कम वोट मिले हैं।
प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक, मुस्लिम बहुल बूथ 155 पर दारा सिंह चौहान को नौ वोट ही मिल सके, जबकि सुधाकर सिंह को 579 वोट मिले हैं। यानी मुस्लिमों ने सपा के पक्ष में जमकर मतदान किया है। इसी तरह बूथ नंबर 132 पर दारा को 17 वोट तो सुधार को 494 वोट मिले। पीस पार्टी के सनाउल्लाह भी मुस्लिमों का ज्यादा वोट नहीं हासिल कर सके हैं। बूथ नंबर 146 पर दारा को नौ वोट मिले हैं। सुधाकर सिंह 603 वोट पाने में कामयाब रहे हैं।
कई केंद्रों पर दारा सिंह को 50 से कम वोट मिले
कई मतदान केंद्रों पर 50 से कम वोट दारा सिंह चौहान को मिले। बूथ 133 पर दारा सिंह को 16, बूथ 146 पर नौ, बूथ नंबर 147 पर 26, बूथ नंबर 151 पर 17 वोट, बूथ नंबर 154 पर 12 वोट जबकि 190 पर भाजपा प्रत्याशी दारा सिंह चौहान को 38 वोट मिले।
दारा सिंह के प्रति आक्रोश का सुधाकर को फायदा
घोसी उपचुनाव में हुए उलटफेर के दूरगामी परिणाम होने की जानकार बात कर रहे। स्थानीय को प्राथमिकता देते हुए जनता ने सपा प्रत्याशी सुधाकर सिंह को बड़ी जीत दिलाई है। माना जा रहा है कि 2024 लोकसभा को लेकर भी सकारात्मक संदेश इस जनादेश में है। 2017 से 2023 तक चार बार चुनाव, इसको लेकर जनता अपने आपको ठगा महसूस करने लगी।
इस बार सपा से दारा सिंह का इस्तीफा और भाजपा में शामिल होना जनता को रास नहीं आया। सपा के टिकट पर दारा सिंह ने एक वर्ष पहले ही चुनाव जीता था। ऐसे में जनता के बीच दारा सिंह ने अपनी विश्वसनीयता खो दी।
इस बार के उपचुनाव में सपा ने उनकी छवि को दलबदलू और बाहरी के रूप में पेश की। जनता ने भी इसको सही माना। जबकि, सुधाकर के स्थानीय निवासी होने तथा चार दशक से एक ही पार्टी का कार्यकर्ता और जनता के बीच उपलब्ध रहने के कारण उनको मजबूती मिली।
बार-बार चुनाव से आजिज हर वर्ग के लोगों ने सुधाकर के पक्ष में मतदान किया। स्थानीय-बनाम बाहरी नारे का इस स्तर तक असर रहा कि भाजपा के कई मतदाता तो मतदान करने भी नहीं निकले। यही वजह रही कि बीते 2020 चुनाव के सापेक्ष इस बार छह फीसदी कम यानी 50.30 फीसदी मतदान हुआ।