लखनऊ। पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में एक ऐसा गांव भी है जहां सैकड़ो लोग दिव्यांग हैं। यहां पर बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक दिव्यांग मिलेंगे। यहां बच्चे जन्म के समय तो ठीक रहते हैं लेकिन आगे ठीक रहेंगे इसकी कोई गारंटी नहीं है। दिव्यांगों की हालत यह है कि अधिकांश तो काम करने लायक नहीं है । देश आज विकास के नित्य नए आयाम को छू रहा है लेकिन कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जो आज भी अबूझ बना हुआ है। सेवापुरी विधानसभा क्षेत्र के ग्रामसभा पूरे न सिर्फ जिले में बल्कि आसपास के जिलों में एक अबूझ पहेली बना हुआ है।
ग्राम सभा पूरे में सैकड़ों की संख्या में लोग जन्म के कुछ वर्षों बाद विकलांग होते चले गए। जब इस बात की भनक स्थानीय स्वास्थ्य विभाग को मिली तो आनन-फानन में करीब दस से बारह वर्ष पहले मिट्टी और पानी की जांच कराई गई। जांच के बाद सिर्फ खानापूर्ति की गई और लोगों को उनकी बीमारी के बारे में भी नहीं बताया जा सके । आज पूरे गांव के अधिकतर दिव्यांग बिना किसी कामकाज के घर पर बैठने के लिए मजबूर है । शासन की ओर से सिर्फ दिव्यांग पेंशन की राशि दी जा रही है।
जो ऊंट के मुंह में जीरा का काम कर रही है यहां तक की गांव में रहने वाले दिव्यांग लोगों के पास ना रोजगार है ना ही जीने का कोई सहारा कुछ ऐसे भी दिव्यांग है जो गांव से काफी दूर बसे हैं लेकिन उनके पास सुविधा के नाम पर पीने का पानी का कनेक्शन है जिसमे कुछ समय के लिए ही पानी आता है। इस बाबत ग्राम प्रधान प्रधान से दिव्यांग लोगों के बुनियादी सुविधाओं के बारे में जानकारी हासिल करनी चाहिए तो ग्राम प्रधान ने मंत्री से मिलने का हवाला देते हुए मीडिया से बात करने को मना कर दिया।