लखनऊ के निशातगंज निवासी मनी टंडन जगदंबा महिला गृह उद्योग की संस्थापक हैं। पेशे से ये वकील हैं पर दूसरी महिलाओं की चिंता ने इन्हें समाज के लिए प्रेरणास्रोत बना दिया। इन्होंने न केवल समाज के आडंबरों को चुनौती दिया बल्कि स्वस्थ जीवनशैली और पौष्टिक आहार के महत्व को भी बताया। कोरोना काल के दौरान प्रेरित होकर मनी ने अपने घरेलू अनुभव और पारंपरिक ज्ञान का उपयोग करते हुए इस उद्योग की स्थापना की। इसका एकमात्र उद्देश्य आत्मनिर्भर के साथ समाज को स्वस्थ बनाना है।
मनी टंडन एक वकील हैं लेकिन समाज सेवा की ओर उनका झुकाव उन्हें इस अनोखे काम की ओर ले आया। वह मैथिली शरण गुप्त की पंक्तियों, “नर हो न निराश करो मन को। कुछ काम करो, कुछ काम करो। जग में रहकर कुछ नाम करो।” को अपना जीवन मंत्र बनाया। वह कहती हैं कि कोरोना काल ने उन्हें यह अवसर दिया कि वह कमजोर महिलाओं को सशक्त बना सकें। अपनी सास सुनीति टंडन को सम्मानित करते हुए, उन्होंने जगदंबा महिला गृह उद्योग की स्थापना की।
पारंपरिक और आधुनिकता का संगम
मनी कहती हैं कि उनका उद्देश्य पारंपरिक घरेलू उत्पादों को आधुनिक तकनीकों के साथ जोड़कर अगली पीढ़ी तक पहुंचाना है। उनके उद्योग में पारंपरिक व्यंजन जैसे मूंग दाल की मंगोड़ी, उड़द दाल की बड़ी और मल्टीग्रेन मिक्स जैसे 73 तरह के उत्पाद तैयार किए जाते हैं। सभी उत्पाद बिना किसी कृत्रिम संरक्षण के बनाए जाते हैं। खास बात ये कि कुछ भी पहले से तैयार नहीं रखा जाता बल्कि ऑर्डर मिलने के बाद ही तैयार किए जाते हैं।
स्वास्थ्य और घरेलू खाना
मनी का मानना है कि कोरोना काल ने यह सिखाया कि घर का खाना न केवल स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है बल्कि यह रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाता है। उनका लक्ष्य है कि समाज में हर वर्ग तक यह संदेश पहुंचे कि घर का ताजा और पौष्टिक खाना जंक फूड का बेहतर विकल्प है।
महिलाओं को सशक्त बना रहीं
मनी टंडन ने देखा कि कई महिलाएं जो स्वाभाविक रूप से मजबूत थीं पर सामाजिक परिस्थितियों के कारण खुद को कमजोर महसूस करती थीं। उनका उद्योग इन महिलाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करता है ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें। आज एक दर्जन से अधिक महिलाएं मनी से जुड़कर अपना घर परिवार चला रही हैं।