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घायल बेजुबानों को देखकर पिघला दिल, आसरा “द हेल्पिंग हैंड्स” के सहारे बचाईं कई ज़िंदगियां

लखनऊ: सोशल मीडिया के जमाने में कुछ युवा अपना जीवन इंस्टाग्राम, फेसबुक या व्हाट्सएप पर गुजार देते हैं. वहीं कुछ इन्हीं को अपना हथियार बनाकर समाज के हित में कार्य करते हैं. इन्हीं में से एक है सोशल मीडिया का एक पेज आसरा “द हेल्पिंग हैंड्स”. आसरा न सिर्फ बेजुबानों बल्कि समाज के उस तबके के लिए भी कार्य कर रहा है जो कुछ बेहतर डिजर्व करते हैं.

बेसहारा जानवरों के लिए कार्य करने वाली इस पेज की ओनर चारु खरे बताती हैं कि समाज में इन बेजुबानों का बेहद अपमान किया जाता है. लोग विदेशी नस्ल के आगे देसी नस्ल को कुछ नहीं समझते जिसका असर इनके जीवन पर पड़ता है. वहीं लोग गैर कानूनी तरीके ब्रीडिंग का कार्य करते हैं. वहीं हम दूसरी ओर देखें तो सोशल मीडिया पर रोजाना एनिमल क्रुएल्टी के कई मामले सामने आते हैं. हमारा पेज ऐसे सभी मामलों के खिलाफ आवाज उठाने का कार्य भी करता है.

बता दें कि आसरा का फ़िलहाल कोई एनजीओ या शेल्टर नहीं है, लेकिन फिर भी यह पेज बेसहारा जानवरों की नसबंदी, देसी नस्ल के कुत्तों के एडॉप्शन, उनके रेस्क्यू व ट्रीटमेंट का बंदोबस्त करता है. साथ ही, जानवरों के प्रति हो रहे किसी भी हिंसक रवैये का विरोध करता है.

चारु बताती हैं कि वह अपने ज्यादातर केस जीव बसेरा संस्था में एडमिट कराती हैं. साथ ही, इस कार्य में उनके साथ रिया खरे व पूर्णा खरे का सहयोग है. रेस्क्यू के कार्य में रजत, राहुल, और अंशुल उन्हें सहयोग देते हैं.

एनिमल एक्टिविस्ट के तौर पर चारु को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है. वह कहती हैं कि बेजुबानों के लिए लड़ना हर एक नागरिक का कर्तव्य होना चाहिए। यह हमारे समाज का हिस्सा हैं. इनका ठीक वैसे ही सम्मान करें जैसे आप खुद का करते हैं.

(यह इंटरव्यू आसरा “द हेल्पिंग हैंड्स” से बातचीत पर आधारित है)

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BRIJESH SINGH
the authorBRIJESH SINGH