काठमांडू। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को तगड़ा झटका लगा है। सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी से उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। ये फैसला पार्टी की सेंट्रल कमेटी की मीटिंग में लिया गया है। शुक्रवार को विरोधी गुट के नेताओं ने ओली की सदस्यता रद्द करने की धमकी दी थी। हालांकि देश के चुनाव आयोग ने इस फैसले को मानने से इनकार कर दिया है। चुनाव आयोग ने स्पष्ट कर दिया है कि वह दोनों धड़ों को ही नहीं मानती। नेपाल चुनाव आयोग ने कहा है कि दोनों खेमे राजनीतिक पार्टी कानून 2017 और पार्टी के संविधान का पालन नहीं कर रहे हैं इसलिए फिलहाल पार्टी में यथास्थिति बरकरार रहेगी।
पिछले वर्ष दिसंबर के दूसरे सप्ताह में जब प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने अपनी पार्टी – नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी की सहमति के बगैर एकतरफा निर्णय लेते हुए संसद को भंग करने का फैसला लिया, तभी से पार्टी की अंदरूनी कलह बढ़ गई और इसके दो फाड़ तक की नौबत आ गई। तब से नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी दो पार्टियों की तरह कार्य कर रही है।
एक धड़े का नेतृत्व ओली स्वयं कर रहे हैं, जबकि दूसरे धड़े का नेतृत्व पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड और माधव कुमार नेपाल कर रहे हैं। दोनों ही पक्ष एक ही बैनर तले पूरे देश में अलग-अलग कार्यक्रम कर रहे हैं क्योंकि उन्हें अभी चुनाव आयोग की ओर से कोई आधिकारिक मान्यता नहीं मिली है।