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मौजूदा हवाईअड्डे पर जमीन की कमी के चलते लखनऊ में बनेगा नया अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट, इन योजनाओं पर भी होगा तेजी से काम

लखनऊः देश के 10 सबसे तेजी से बढ़ रहे शहरों में शुमार लखनऊ की जरूरतें भी बढ़ रही हैं। इन्हें पूरा करने के लिए लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेस-वे पर नया अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट बनाया जाएगा। वहीं, मौजूदा चौधरी चरण सिंह हवाईअड्डे को माल आवागमन (कार्गो) के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। एलडीए ने नए एयरपोर्ट की जरूरत के प्रस्ताव के साथ विजन डॉक्यूमेंट के रूप में बने सिटी डवलपमेंट प्लान (सीडीपी) को भी अनुमोदन के लिए शासन के पास भेजा है। अब इसे आधार बनाकर शहर का विकास किया जाएगा।

प्रस्ताव के मुताबिक 1187 एकड़ में बने मौजूदा एयरपोर्ट के टर्मिनल एक से अंतरराष्ट्रीय व दो से घरेलू उड़ानें रवाना होती हैं। सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि रनवे की लंबाई बढ़ाने तक के लिए जमीन नहीं मिल रही है। मौजूदा समय में अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए रनवे का न्यूनतम मानक 4.7 किमी है।

वहीं, लखनऊ में इसकी लंबाई 2.7 किमी ही है। इतना ही नहीं इसे अधिकतम 3.3 किमी ही किया जा सकता है। इसका प्रोजेक्ट भी अटका है। जमीन की कमी से जहां हवाई सफर करने वालों की सुविधाएं नहीं बढ़ रहीं तो लखनऊ के पर्यटन, उद्योग आदि की संभावनाओं को भी पंख नहीं लग पा रहे हैं। विश्वस्तरीय सुविधाओं वाला एयरपोर्ट बनने से कानपुर को भी फायदा होगा। नया एयरपोर्ट उन्नाव के पास बनाया जा सकता है।

11,520 करोड़ रुपये का आएगा खर्च
सीडीपी के मुताबिक मौजूदा एयरपोर्ट की क्षमता पूरी होने के बाद वर्ष 2037 तक नया एयरपोर्ट शुरू करना जरूरी हो जाएगा। 11,520 करोड़ रुपये खर्च कर नया एयरपोर्ट बनाने के लिए करीब छह हजार एकड़ जमीन की आवश्यकता होगी, जो लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेस-वे पर मिल सकती है।

13 शहरों में सबसे पहले तैयार सीडीपी

एलडीए सचिव पवन गंगवार ने बताया कि आने वाले 30 सालों में लखनऊ का विकास कैसा हो, इसके लिए सीडीपी में विजन डॉक्यूमेंट है। इसमें शहर की आगे की जरूरतों के मुताबिक प्रोजेक्टों के प्रस्ताव शामिल हैं। सभी विभागों को अपने प्रोजेक्टों के मुताबिक डीपीआर अलग से तैयार करनी होगी।

एलडीए इसमें तकनीकी सहयोग देगा। अयोध्या की तर्ज पर 13 शहरों के सीडीपी बनने हैं। एलडीए ने सबसे पहले प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेज दी है, जिसे अरिनेम कंसल्टेंसी ने तैयार किया है।

इन प्रोजेक्टों से लखनऊ का होगा विकास
सेंट्रल कैपिटल कॉम्प्लेक्स : विधानसभा के आसपास के क्षेत्र को दोबारा विकसित कर यहां 100 मीटर तक ऊंची इमारतें बनाई जाएं।

स्टेट कन्वेंशन एंड एक्सपो सेंटर : बड़े आयोजन व कांफ्रेंस के लिए लखनऊ में बड़े ऑडिटोरियम की जरूरत है। पांच से दस हजार की क्षमता वाले ऑडिटोरियम व अन्य स्पेस, होटल आदि इसमें रहेंगे।

इनोवेशन हब : युवाओं और उद्योगों की जरूरत के लिए इनोवेशन हब बने। इसमें डाटा सेंटर की भी जरूरत होगी।

पीआरटी सिस्टम – शहर के पुराने इलाकों जैसे अमीनाबाद, हजरतगंज आदि को जोड़ते हुए पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बेहतर किया जाएगा। इसमें शेयरिंग बाइक, साइकिल से मेट्रो जैसे सिस्टम जुड़ेंगे। पैदल चलने वालों के लिए भी व्यापक स्तर पर पुल बनेंगे।

लखनऊ  आई : लंदन आई की तर्ज पर लखनऊ के पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 165 मीटर ऊंचा लखनऊ आई झूला बनेगा। इससे पूरे शहर का दृश्य मिलेगा।

हैदर कैनाल रोड : 11.5 लंबी हैदर कैनाल पर एलीवेटेड रूट बनाकर मोहान रोड से सीधे लोहिया पथ पर रोड नेटवर्क तैयार होगा।
लॉजिस्टिक पार्क : शॉर्ट टर्म प्रोजेक्ट में शहर के बाहर से माल के आवागमन को आसान बनाने के लिए 2000 करोड़ रुपये खर्च कर लॉजिस्टिक पार्क बनाए जाएंगे।

स्टेट ओडीओपी सेंटर  : प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना ओडीओपी को प्रोत्साहन देने के लिए एक्सपो सेंटर बनेगा, जिसमें पूरे प्रदेश के उत्पाद की प्रदर्शनी और बिक्री केंद्र बन सकें।

राह-ए-अवध : गोमती किनारे रोड नेटवर्क तैयार कर इसके आसपास सांस्कृतिक व जन उपयोगी स्थल विकसित हों। यहां लोग शाम का आनंद ले सकें।

मार्केट्स ऑन द स्काई : राजधानी में पुराने इलाके जैसे हुसैनाबाद में पैदल चलने वालों के लिए स्काई-वे बने। यहां वेंडिंग जोन भी बनाए जाएं।
मल्टी मॉडल इंटीग्रेशन ऑफ पब्लिक ट्रांसपोर्ट : ऐसे केंद्र विकसित होंगे, जहां सभी तरह के ट्रांसपोर्ट एक ही जगह पर जोड़े जाएंगे।

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