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12 सेकंड में ‘धूल’ हो जाएगा क़ुतुब मीनार से ऊंचा नोएडा का ट्विन टावर, 3700 किलो बारूद का होगा इस्तेमाल

नई दिल्ली। कल यानी 28 अगस्त को नोएडा में नियमों को ताक पर रखकर बनाए गए ट्विन टावर्स को गिरा दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त 2021 इन टावर्स को अवैध घोषित कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट द्वारा अवैध घोषित किये जाने के तीन महीने बाद ही इन टावर्स को गिराया जाना था, लेकिन ऐसा हो न सका। अब 1 साल बाद इन टावर्स को गिराने की तारीख नजदीक आ गई है। नोएडा के ट्विन्स टावर्स को कल ढाई बजे ध्वस्त कर दिया जाएगा। ढहने के बाद यह भारत की सबसे ऊंची इमारत बन जाएगी, जिसे विस्फोटकों के जरिए उड़ाया गया। 100 मीटर से थोड़ी ज्यादा ऊंची इमारतें 15 सेकंड से भी कम वक्त में ताश के पत्तों से बने घर की तरह ढह जाएंगी।कल ट्विन टावर के आसपास की दो किलोमीटर हिस्से में आंतरिक सड़कों पर सुबह सात बजे से ही ट्रैफिक रोक दिया जाएगा, जो शाम को पांच बजे के बाद खुलेगा। ग्रेनो एक्सप्रेसवे दोपहर सवा दो बजे बंद कर दिया जाएगा। यह करीब पौने घंटे तक बंद रहेगा। रविवार सुबह ही सात बजे तक सुपरटेक एमरॉल्ड कोर्ट व एटीएस विलेज सोसाइटी के करीब 1400 फ्लैट को पूरी तरह खाली करा लिया जाएगा।

12 सेकंड में गिरेंगी इमारतें

13 साल में बनी दोनों इमारतें टूटने में सिर्फ 12 सेकेंड लगेंगे। कुतुब मीनार से ऊंचे ट्विन टावर से ठीक 9 मीटर दूर सुपरटेक एमरेल्ड सोसायटी है। यहां 650 फ्लैट्स में करीब 2500 लोग रहते हैं। देश भर में ज्यादातर लोग देखना चाहते हैं कि ट्विन टावर कैसे टूटेंगे, लेकिन आसपास रहने वालों को डर है कि उनके घर कैसे बचेंगे। घर बच भी गए तो टावर के मलबे से निकली धूल से कैसे बचेंगे। ये जगह सेक्टर-93 में है और नोएडा के महंगे एरिया में शामिल है। यहां 3BHK फ्लैट की कीमत करीब एक करोड़ रुपए है।

टावर्स में भरा गया 3700 किलो बारूद

ट्विन टावर गिराने का जिम्मा एडिफाइस नाम की कंपनी को मिला है। ये काम प्रोजेक्ट मैनेजर मयूर मेहता की निगरानी में हो रहा है। वे बताते हैं कि हमने बिल्डिंग में 3700 किलो बारूद भरा है। पिलर्स में लंबे-लंबे छेद करके बारूद भरना होता है। फ्लोर टु फ्लोर कनेक्शन भी किया जा चुका है। टावर्स को गिराने के लिए वाटरफॉल टेक्नीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। ये एक तरह का वेविंग इफेक्ट होता है, जैसे समंदर की लहरें चलती हैं। पूरी प्रोसेस उसी तरह होगी। बेसमेंट से ब्लास्टिंग की शुरुआत होगी और 30वीं मंजिल पर खत्म होगी। इसे इग्नाइट ऑफ एक्सप्लोजन कहते हैं। इसके बाद बिल्डिंग गिरना शुरू होगी। इसमें करीब 12 सेकेंड लगेंगे। ब्लास्ट के बाद घटनास्थल पर 35,000 घन मीटर मलबा (करीब 55,000 टन का मलबा) पैदा होगा। इस टावर को गिराने में लगभग 17.55 करोड रुपए का खर्च आएगा। सुपरटेक के दोनो टावर की ऊंचाई 100 मीटर है और इसे गिराने वाली कंपनी ने अंदाजा लगाया है कि जब यह दोनों टावर गिरेंगे तो लगभग 3 हजार ट्रक मलबा निकलेगा।

मलबा आसपास के क्षेत्र में नहीं फैले इसके लिए आसपास के दो टॉवरों को पूरी तरह से काले और सफेद जियोटेक्सटाइल फाइबर से ढंक दिया गया है. इसके साथ ही गैस पाइपलाइनों की सुरक्षा के लिए भी पूरी व्यवस्था की गई है। टावर को गिराने से पहले एडिफिस कंपनी ने ओएनजीसी (ONGC) की पाइप लाइन और पड़ोस में बने दो अन्य टावर को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए बीमा कराया है। पाइप लाइन का 2.5 करोड़ रुपये में तो टावर का 100 करोड़ रुपये का बीमा कराया गया है।

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BRIJESH SINGH
the authorBRIJESH SINGH