लखनऊः नवंबर के आखिरी सप्ताह में पहचाने गए कोविड के नए वैरिएंट ने पूरी दुनिया में अनिश्चिय और भय पैदा कर दिया है। हालांकि, डब्ल्यूएचओ के मुताबिक 47 से ज्यादा देशों में फैल चुके ओमिक्रॉन वैरिएंट से अब तक कहीं भी मौत का मामला सामने नहीं आया है। लेकिन, तेजी से बढ़ते संक्रमण की वजह से अमेरिका व दक्षिण अफ्रीका सहित यूरोप के कई देशों के अस्पतालों में संक्रमितों की बाढ़-सी आने लगी है। अमेरिका-यूरोप में इसका सामुदायिक प्रसार भी शुरू हो चुका है।
दक्षिण अफ्रीका और अन्य देशों के वैज्ञानिक यह जानने में जुटे हैं कि क्या ओमिक्रॉन अधिक गंभीर बीमारी का कारण बनता है और मौजूदा टीकों के लिए अधिक प्रतिरोधी है। दक्षिण अफ्रीका में डॉक्टरों और विशेषज्ञों शुरुआती रुझानों के आधार पर आश्वस्त कर रहे हैं कि इससे होने वाला संक्रमण बहुत हल्का है।
दक्षिण अफ्रीका में भारी उछाल
दक्षिण अफ्रीका में गत सप्ताह में कुल संक्रमण के मामलों में 700% का उछाल आया है। बीते सप्ताह सोमवार को 2300 मामले आए थे, जबकि शुक्रवार को 16000 केस आए। हालांकि, इनमें ओमिक्रॉन संक्रमितों की संख्या निश्चित नहीं है, लेकिन करीब 70 फीसदी से ज्यादा मामले ओमिक्रॉन के ही बताए गए हैं।
इन प्रमुख देशों में आए मामले
दक्षिण अफ्रीका, सेनेगल, बोत्सवाना, मेक्सिको, भारत, नीदरलैंड, हांगकांग, इस्राइल, बेल्जियम, ब्रिटेन, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, इटली, चेक गणराज्य, डेनमार्क, ऑस्ट्रिया, कनाडा, स्वीडन, स्विट्जरलैंड, स्पेन, पुर्तगाल, जापान, फ्रांस, घाना, दक्षिण कोरिया, नाइजीरिया, ब्राजील, नॉर्वे, अमेरिका, सऊदी अरब, आयरलैंड, संयुक्त अरब अमीरात, रूस, नामीबिया, नेपाल, थाईलैंड, क्रोएशिया, अर्जेंटीना, श्रीलंका, मलयेशिया और सिंगापुर।
नेपाल व थाईलैंड में मिले मामले
थाईलैंड के रोग नियंत्रण विभाग के महानिदेशक ओपस कार्नकाविनपोंग बताया कि थाईलैंड में पहला ओमिक्रॉन संक्रमण एक अमेरिकी नागरिक में मिला, जो 29 नवंबर को स्पेन से थाईलैंड आया था। इस तरह से थाईलैंड 47 वां देश है, जहां ओमिक्रॉन संस्करण मिला है। थाईलैंड में 57 फीसदी लोगों को टीके दोनों खुराक लग चुकी हैं। वहीं, नेपाल के स्वास्थ्य मंत्रालय के उप प्रवक्ता समीर अधिकारी ने बताया कि नेपाल में सोमवार को दो लोगों में ओमिक्रॉन वैरिएंट का संक्रमण मिला है। इनमें एक व्यक्ति नेपाली है, एक विदेशी है। वहीं, जापान ने सोमवार को ओमिक्रॉन संक्रमण की तीसरे मामले की पुष्टि की है।
च्यूइंग गम से संक्रमण रोकने की कोशिश
अमेरिकी वैज्ञानिकों ने ऐसी च्यूइंग गम पर काम शुरू किया है, जो कोरोना वायरस को रोक सके। इसके लिए पौधों से मिलने वाले प्रोटीन का उपयोग किया जा रहा है। वैज्ञानिकों के अनुसार एसीई-2 नामक प्रोटीन लोगों के मुंह में मौजूद वायरस की संख्या घटाने में मदद करता है। इस तरह संक्रमित व्यक्ति के जरिये वायरस फैलने की आशंका घट जाएगी। पेनसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के हेनरी डेनियल के अनुसार संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने या बोलने से भी वायरस फैलता है, लेकिन इस विशेष प्रोटीन युक्त च्यूइंग गम के जरिये मुंह से वायरस की संख्या कम की जाती है। ऐसा करने से वातावरण में फैल रहे वायरस को कम किया जा सकेगा। वैज्ञानिक फिलहाल इसके परीक्षणों के लिए कानूनी अनुमति का इंतजार कर रहे हैं।