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संसद में ई-सिगरेट के कथित सेवन पर हंगामा, भारत में पूरी तरह बैन होने के बावजूद सांसद पर आरोप

नई दिल्ली। ई-सिगरेट पर भारत सरकार ने पूर्ण प्रतिबंध लगा रखा है, लेकिन जब कानून बनाने वाले ही उसी कानून का उल्लंघन करते दिखें, तो सवाल उठना स्वाभाविक है। इसी मुद्दे पर बुधवार को संसद में हंगामा मच गया। भाजपा नेता अनुराग ठाकुर ने तृणमूल कांग्रेस के एक सांसद पर आरोप लगाया कि उन्होंने संसद परिसर में ई-सिगरेट का सेवन किया, जबकि देश में इस पर पूरी तरह रोक है।

भारत में ई-सिगरेट पर क्यों है प्रतिबंध

20 मई 2019 को भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने ई-सिगरेट पर एक विस्तृत व्हाइट पेपर जारी किया था। इसमें बताया गया कि ई-सिगरेट साधारण सिगरेट जितनी ही हानिकारक है और नई पीढ़ी इसे सुरक्षित समझकर गलतफहमी का शिकार हो रही है। इसके बाद केंद्र सरकार ने देश में ई-सिगरेट के निर्माण, बिक्री, वितरण और विज्ञापन पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया।

क्या है ई-सिगरेट और कैसे नुकसान पहुंचाती है

ई-सिगरेट एक इलेक्ट्रॉनिक इन्हेलर होता है, जिसमें निकोटिन या अन्य रासायनिक लिक्विड भरा जाता है। बैटरी की मदद से यह लिक्विड भाप में बदल जाता है, जिससे तंबाकू पीने जैसा एहसास होता है।

इसमें मौजूद केमिकल कई बार निकोटिन से भी ज्यादा खतरनाक होते हैं।
रिसर्च में सामने आया है कि ई-सिगरेट अस्थमा सहित कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती है।
इसमें प्रयुक्त रसायनों से पॉपकॉर्न लंग्स और फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ता है।
कई देशों ने इसके दुष्प्रभावों को देखते हुए इस पर सख्त कदम उठाए हैं। कहीं पूर्ण प्रतिबंध है, तो कहीं आंशिक।

भारत में ई-सिगरेट, ई-हुक्का और इसी प्रकार के सभी इलेक्ट्रॉनिक निकोटिन डिलीवरी सिस्टम पर पूरी तरह रोक लागू है।

ई-सिगरेट पीने पर सजा का प्रावधान

पहली बार उल्लंघन करने पर एक लाख रुपये तक का जुर्माना या एक साल की कैद, या दोनों।

दोबारा पकड़े जाने पर पांच लाख रुपये का जुर्माना और तीन साल तक की कैद का प्रावधान।

संसद में लगे आरोपों के बाद यह मामला राजनीतिक बहस का केंद्र बन गया है। प्रतिबंध के बावजूद कथित सेवन ने कानून के पालन और जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी पर नए सवाल खड़े कर दिए हैं।

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BRIJESH SINGH
the authorBRIJESH SINGH