दोहा। कतर में आठ पूर्व भारतीय नौसैनिकों को फांसी की सजा सुनाई गई है। सभी नौसैनिकों पर कतर की पनडुब्बी परियोजना की जासूसी का आरोप है। साथ ही उनपर आरोप है कि उन्होंने पूरी जानकारी इजराइल को दी है। इस समय इजराइल और हमास युद्धरत हैं। हमास वही संगठन है, जिसका दफ्तर क़तर में ही है। उसे कतर सरकार से हर तरह की मदद मिलती आ रही है। कतर अरब लीग का महत्वपूर्ण सदस्य भी है, जो फ़लस्तीन की संप्रभुता की वकालत करता है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सेवानिवृत होने के बाद ये सभी नौसैनिक कतर की एक निजी कंपनी में काम कर रहे थे। यह कंपनी कतरी एमिरी नौसेना को ट्रेनिंग और अन्य सेवाएं प्रदान करती है। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, कंपनी का नाम दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजी एवं कंसल्टेंसीज सर्विसेज है। कंपनी खुद को कतर रक्षा, सुरक्षा एवं अन्य सरकारी एजेंसी की स्थानीय भागीदार बताती है।
वहीँ इस मामले में विदेश मंत्रालय ने प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि मौत की सजा के फैसले से हम गहरे सदमे में हैं और विस्तृत फैसले का इंतजार कर रहे हैं। हम परिवार के सदस्यों और कानूनी टीम के संपर्क में हैं, और सभी कानूनी विकल्प तलाश रहे हैं। हम इस मामले को बहुत महत्व देते हैं और इस पर बारीकी से नज़र रख रहे हैं। हम सभी कांसुलर और कानूनी सहायता देना जारी रखेंगे। हम फैसले को कतर के अधिकारियों के समक्ष भी उठाएंगे।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि हमारे पास प्रारंभिक जानकारी है कि कतर की अदालत ने प्रथम दृष्टया आज अल दहरा कंपनी के आठ भारतीय कर्मचारियों से जुड़े मामले में फैसला सुनाया है। कतर के कोर्ट ऑफ फर्स्ट इंस्टांस ने इस मामले में सजा सुनाई है। बयान में कहा गया है, इन भारतीयों को फांसी की सजा से हम हतप्रभ हैं और ब्योरे का इंतजार कर रहे हैं। भारत इस मामले को कतर सरकार के समक्ष उठाने की भी तैयारी कर रहा है। यह मामला हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है और वे इस पर कड़ी नजर रख रहे हैं।
विदेश नीति पर नजर रखने वाले सीनियर पत्रकार कहते हैं कि यह मामला बहुत संवेदनशील है। भारत सरकार या पीड़ित परिवारों के पास बहुत सीमित कानूनी अधिकार हैं। पूरे मामले में कतर के कानून ही लागू होने हैं, न ही इसमें भारतीय कानून लगेगा और न ही कोई अंतर्राष्ट्रीय कानून मददगार होगा। इसे डिप्लोमेटिक तरीके से ही हल किया जा सकता है। ठीक उसी तरीके से जैसे हमास के कब्जे में मौजूद अमेरिकी मां-बेटी को छुड़ाने के लिए अमेरिका ने कतर से मदद ली और आज वे दोनों सुरक्षित हैं, ठीक उसी तरीके से भारत सरकार को भी अपने इन नागरिकों को बचाने के लिए कोशिश करना होगा।
कौन है 8 भारतीय पूर्व नौसैनिक:
1. कैप्टन नवतेज सिंह गिल
2. कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा
3. कैप्टन सौरभ वशिष्ठ
4. कमांडर अमित नागपाल
5. कमांडर पूर्णेंदु तिवारी
6. कमांडर सुगुनाकर पकाला
7. कमांडर संजीव गुप्ता
8. सेलर रागेश