Uttar Pradesh

वैज्ञानिक डॉ शशि कान्त तिवारी बने आध्यात्मिक संत “विनोद जी महाराज” कथावाचक

वाराणसी। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के शोध वैज्ञानिक की जो श्रीकृष्ण की भक्ति में इतना डूब गए कि विश्वविद्यालय व राजनीति छोड़कर आध्यात्मिक संत बन गए। डॉ शशि कान्त तिवारी विनोद जी महाराज जी से वरिष्ठ पत्रकार जयशंकर प्रसाद शुक्ल ने किया विशेष संवाद। लगभग एक दशक के लंबे समय से यह महाराज जी कभी अन्नकूट अभियान चलाकर गरीबों की मदद करना, माघ मेला प्रयागराज में प्रतिवर्ष विशाल यज्ञ का आयोजन, लखनऊ व वृन्दावन में आध्यात्मिक महासमागम के आयोजन के साथ ही वृन्दावन धाम के मुस्काॅन आश्रम में भक्ति में डूबा हुआ एक आध्यात्मिक कृष्णभक्त के रूप में नजर आते हैं।

इन्होंने एमएससी (कृषि) करने के पश्चात पीएचडी किया और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कृषि संस्थान में शोध वैज्ञानिक रहे। आध्यात्मिक जगत में आने से पहले कुछ समय ये राजनेताओं के साथ रहकर सामाजिक सेवाएं प्रदान किया करते रहे। एक कैबिनेट मंत्री के पीआरओ रहे तथा लोकसभा सचिवालय में सेक्रेटरी के पद पर भी रहे हैं। रेलमंत्री द्वारा नियुक्त पुर्वोत्तर रेलवे मे जेडआरयूसीसी कमेटी के सदस्य रहे। पुर्व में एक स्कूल भी चला चुके हैं जिसके निदेशक रहे। इनका जन्म उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के नोनापार गांव में हुआ था। ब्राह्मणो के बड़े गांव में ब्राह्मण परिवार में जन्म होने से संस्कार पहले से ही मिले थे साथ ही पिता के आध्यात्मिक होने का भी महाराज जी पर प्रभाव पड़ा।

एक इंटरव्यू में महाराज जी ने बताया था कि जब ये वृन्दावन धाम मे आश्रम बनाने आये तो कुछ लोगों ने हैरत जताते हुए कहा था कि राजनीति छोड़कर बाबा बन गये। समाज का एक बड़ा हिस्सा वैराग्य को या बाबा बनने को समाज से कटा हुआ मानता है। अब महाराज जी वृन्दावन धाम मे मुस्काॅन आश्रम मे भक्तिमय वातावरण मे वास करते है और श्रीमद्वाल्मीकि रामायण की कथा के साथ साथ गीता प्रवचन व श्रीमद्भागवत पुराण की कथा भी करते हैं।

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BRIJESH SINGH
the authorBRIJESH SINGH