पटना। बिहार के सारण जिले में जहरीली शराब पीने से सात लोगों की मौत हो गई, जबकि कई लोगों की आंखों की रोशनी चली गई। छपरा सदर अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए अभी तक 7 लोगों के शव पहुंच चुके हैं। मसरख सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भी कई बीमार लोगों का इलाज जारी है।
पुलिस ने मामले में कार्रवाई शुरू कर दी है। पीड़ित परिवार के लोगों से पूछताछ की जा रही है । साथ ही नकली शराब बनाने वालों की धरपकड़ भी शुरू कर दी गई है। उधर बिहार में जहरीली शराब के बढ़ते कारोबार को लेकर बिहार की सियासत भी गर्म है। गठबंधन के नेता जहरीली शराब की खरीद फरोख्त के लिए शराबबंदी को मुख्य कारण मानते हैं। हाल ही में बिहार के कुढ़नी में हुए उपचुनाव के दौरान भी इस मुद्दे को जोरशोर से उठाया गया था।
बिहार में जहरीली शराब पीने से मौत का ये कोई पहला मामला नहीं है। 5 अगस्त 2022 को बिहार के सारण जिले में जहरीली शराब से 9 लोगों की मौत हुई थी और 17 लोगों ने अपनी आंख की रोशनी को खो दी थी। वहीं 21 मार्च 2022 को बिहार के तीन जिलों में जहरीली शराब पीने से 37 लोगों की मौत हो गई थी।
उस समय जहरीली शराब से सबसे ज्यादा मौतें भागलपुर जिले में हुईं, जहां 22 लोगों की मौत हुई थीं। इसके अलावा बांका जिले में 12 और मधेपुरा में 3 लोगों की जान चली गई। 5 नवंबर 2021 में मुजफ्फरपुर के बेतिया में 8 और गोपालगंज में 16 लोगों की मौत हो गई। शराब से हो रही मौतों को लेकर कई सियासी पार्टियों ने शराबबंदी कानून के समीक्षा करने की मांग कर चुकी हैं। बावजूद इसके सीएम नीतीश कुमार इससे पीछे हटने को तैयार नहीं हैं।