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श्रद्धा के पिता बोले- मैंने बेटी को बहुत समझाया लेकिन वो न मानी, आफताब को मिले फांसी की सजा

नई दिल्ली। दिल्ली के जघन्य श्रद्धा मर्डर केस में एक के बाद एक सनसनीखेज खुलासे हो रहे हैं। प्यार के जाल में फंसाकर जिस तरह आफताब ने श्रद्धा के 35 टुकड़े कर दिए और फिर उसके लाश को ठिकाने लगाया, वह बेहद वीभत्स है। अब श्रद्धा के पिता ने दोनों के रिश्तों पर कई बातों का खुलासा किया है। उन्होंने बताया कि उन्हें आफताब उन्हें पसंद नहीं था और उन्होंने इस रिश्ते का विरोध किया था। उन्होंने बेटी को समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन वह नहीं मानी। श्रद्धा के पिता विकास ने यह भी कहा कि जब तक बरामद अंगों डीएनए जांच नहीं हो जाती उन्हें बेटी के मर्डर और आफताब के दावों पर यकीन नहीं है।

एक टीवी चैनल से बातचीत में श्रद्धा के पिता ने कहा, ”मुझे अंदेशा था कि आफताब कुछ गलत करेगा। श्रद्धा को पहले ही समझाया था, लेकिन वह नहीं मानी। उन्होंने कहा कि इस गुनहगार को फांसी होनी चाहिए।” उन्होंने कहा कि श्रद्धा ने हमें कुछ नहीं बताया था, लेकिन उसकी दोस्त ने बताया था कि वह ब्रेकअप करना चाहती थी। श्रद्धा के पिता विकास मदन ने कहा कि आफताब के संपर्क में आने के बाद से ही उसका व्यवहार बदल गया था। हमने बेटी को समझाने के लिए एक मनोवैज्ञानिक से भी बात की थी, लेकिन उसका कहना था कि आप कोई प्रयास मत करिए। खुद ही शायद वह वापस आ जाए।

उन्होंने कहा कि मेरी पत्नी की मौत के बाद आफताब कई बार हमारे घर भी आया था, लेकिन हमारी ज्यादा बात नहीं हुई थी। मैंने शुरू से ही इस रिलेशन का विरोध किया था। श्रद्धा से कहा था कि अपनी बिरादरी में किसी अच्छे लड़के से शादी कराएंगे लेकिन उसने कहा कि वह आफताब के साथ ही रहेगी। श्रद्धा के पिता को आफताब की कहानी पर अब तक यकीन नहीं है। उन्होंने कहा कि आफताब ने मुंबई पुलिस को पिछले एक महीने की पूछताछ में कभी भी इस तरह की बात नहीं बताई। वह लगातार यही कह रहा था कि ब्रेकअप के बाद श्रद्धा उसे छोड़कर चली गई। कहां गई यह पता नहीं, लेकिन अब अचानक उसने दिल्ली जाते हुए मर्डर की बात कही।

विकास ने कहा, ”एक महीने में उसने मुंबई पुलिस से ऐसा कुछ नहीं कहा था। अब उसने एक दिन में ऐसा कैसे कह दिया। क्या पता कि वह सही बोल रहा है? उसने मुंबई पुलिस से कहा था कि श्रद्धा से ब्रेकअप हो गया था और वह छोड़कर चली गई। मुझे कुछ पता नहीं है।” विकास ने कहा कि आफताब बहुत आसानी से पुलिस के सामने कह रहा था जैसे लिखी लिखाई कहानी बता रहा हो। उसे कोई डर नहीं लग रहा था। वह सामान्य तरीके से बात कर रहा था। एक महीने तक यदि लोकल पुलिस को नहीं बताया और दिल्ली जाते ही एक दिन में स्वीकार कर लिया तो क्या झूठ क्या सच मैं कैसे मानूं। वह तो यहां भी बोल सकता था। जब तक श्रद्धा की डेथ रिपोर्ट नहीं आती है तब तक मुझे यकीन नहीं।

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BRIJESH SINGH
the authorBRIJESH SINGH