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जानिए कैसे स्वर कोकिला लता मंगेशकर पहुंच गयी थी मौत के करीब, इस शख्स ने दिया था धोखे से ज़हर

भारतीय सिनेमा जगत में लता मंगेश्कर किसी पहचान की मोहताज़ नहीं। अपनी मधुर आवाज से लोगों को लता ने दीवाना बनाया हुआ है। लेकिन हम दावे के साथ कह सकते हैं की आपको लता जी के बारे में कुछ ऐसे दिलचस्प फैक्ट्स हैं जिनसे आप आज तक अंजान होंगे। आज जब लता मंगेशकर अपना 89वां बर्थडे सेलिब्रेट कर रही हैं तो आपको एक ऐसी घटना के बारे में बताते हैं जो अगर घट जाती तो लता जी आज हमारे साथ नहीं होती।

दरअसल, मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में जन्मी लता एक मध्यम वर्गीय मराठी परिवार से हैं। उन्होंने साल 1942 में ‘किटी हसाल’ के लिए अपना पहला गाना गाया लेकिन उनके पिता दीनानाथ मंगेश्कर को लता का फिल्मों के लिए गाना पसंद नहीं आया। उन्होंने उस फिल्म से लता के गाए गीत को हटवा दिया था। हालांकि उसी साल लता को ‘पहली मंगलगौर’ में अभिनय करने का मौका मिला। लता की पहली कमाई 25 रुपए थी जो उन्हें एक कार्यक्रम में स्टेज पर गाने के दौरान मिली थी।

लता को अपने बचपन के दिनों में साईकिल चलाने का काफी शौक था जो पूरा नहीं हो सका। बता दें कि उन्होंने अपनी पहली कार 8000 रुपये में खरीदी थी। स्पाइसी खाने की शौकीन लता एक दिन में तकरीबन 12 मिर्चियां तक खा लेती हैं। उनका मानना है कि मिर्च खाने से गले की मिठास बढ़ती है। लता को किक्रेट देखने का भी काफी शौक रहा है। लार्डस में उनकी एक सीट हमेशा रिजर्व रहती हैं।

 

शायद ही लोगों को पता होगा की लता मंगेशकर का असली नाम दरअसल हेमा हरिदकर है। बचपन के दिनों से उन्हें रेडियो सुनने का बड़ा ही शौक था। 18 साल की उम्र में उन्होंने अपना पहला रेडियो खरीदा था और रेडियो ऑन करते ही उन्हें के.एल.सहगल की मृत्यु की खबर मिली थी।

साल 1962 में एक बार लता मंगेश्कर काफी बीमार पड़ गई थी और कहा जाने लगा था कि वह अब कभी गा नहीं पाएंगी। कहा जाता है उनके बावर्ची ने उनके खाने में धीमा जहर मिला दिया था। बाद में उन्होंने उस बावर्ची को बिना सेलेरी दिए नौकरी से हटा दिया। लता की बेहद करीबी पद्मा सचदेव ने इसका जिक्र अपनी किताब ‘ऐसा कहां से लाऊं’ में किया है। जिसके बाद राइटर मजरूह सुल्तानपुरी कई दिनों तक उनके घर आकर पहले खुद खाना चखते, फिर लता को खाने देते थे।

 

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