नई दिल्ली। 26/11 को मुंबई पर हुए आतंकी हमले के एकमात्र जीवित बचे पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल आमिर कसाब को साल 2012 में फांसी दी गई थी। फांसी पर लटकाए जाने से पहले कसाब ने जो कहा उससे लगा कि वह अपने किए पर शर्मिंदा था। उसने अपने गुनाह के लिए माफी मांगी और फांसी पर लटकाए जाने से पहले यरवडा जेल के जेलर से कहा, ‘ऐसी गलती दोबारा नहीं होगी।’ अल्लाह मुझे माफ करे।’ कसाब को मीरन सी बोरवंकर के सामने फांसी दी गई। मीरन देश की इकलौती आईपीएस अधिकारी हैं जिनके सामने कसाब को फांसी पर चढ़ाया गया।
कसाब के अखिरी मोमेंट के बारे में पूछा गया तो मीरन ने बताया कि वह काफी डरा हुआ था लेकिन उसे पता नहीं था कि उसके साथ क्या होने वाला है। उन्होंने कहा कि मीडिया रिपोर्ट में केवल कसाब के आखिरी शब्दों और आखिरी इच्छा की अटकलें लगाई जा रही थीं। मुझे नहीं लगता कि कसाब को कोई भी समझ थी कि उसके साथ क्या हो रहा है। वह काफी डरा हुआ लग रहा था। 21 नवंबर की सुबह हम उसे फांसी के लिए लेकर गए। उसे जब सामने मौत दिखी तो उसके मुंह से बस यही निकल रहा था, अल्लाह कसम ऐसी गलती दोबारा नहीं होगी।
नियमों के अनुसार, डॉक्टरों, मजिस्ट्रेट और पुणे कलेक्टर फांसी के समय वहां मौजूद थे। कसाब को फांसी लगाने के बाद हमनें उसके धर्म के हिसाब से उसका अंतिम संस्कार किया। जब मीरन से पूछा गया कि क्या किसी ने कसाब की बॉडी का दावा किया था तो उन्होंने इससे इनकार किया।