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टोक्यो ओलंपिकः पुरुषों की भाला फेंक स्पर्धा में नीरज चोपड़ा ने रचा इतिहास, 87.58 मीटर का थ्रो फेका

दिल्लीः टोक्यो ओलंपिक में पुरुषों की भाला फेंक स्पर्धा के फाइनल  में भारत के नीरज चोपड़ा ने इतिहास रच दिया है। नीरज ने अपने दूसरे प्रयास में  87.58 मीटर का थ्रो कर गोल्ड मेडल जीत लिया है।  सबकी निगाहें नीरज चोपड़ा पर टिकी हुई थी। सब यही उम्मीद कर रहे थे कि जिस तरह से नीरज ने क्वालीफिकेशन राउंड में प्रदर्शन किया था वैसे ही प्रदर्शन कर भारत को स्वर्ण पदक से नवाजेंगे। जेवलिन थ्रो में नीरज को पदक का विजेता पहले ही माना जा रहा था। फाइनल मुकाबले में आठ खिलाड़ी पदक के लिए किस्मत आजमाने उतरे थे। नीरज ने अपने शानदार प्रदर्शन से दुनिया भर में सफलता का परचम लहराया है। आइए ऐसे में एक नजर उनके करियर पर डालते हैं। उन्होंने सेमीफाइनल में अपने पहले ही प्रयास में 86.65 मीटर का थ्रो कर फाइलन के लिए क्वालीफाई कर लिया था।

नीरज ने फाइनल में 87.58 मीटर का जो थ्रो फेका है। उसको कोई भी दूसरा प्रतिभागी नहीं पार कर सका और इसी के साथ ही भारत का पहला गोल्ड नीरज चोपड़ा के द्वारा भारत को मिल गया है।

मजेदार बात यह है कि नीरज ने क्वालीफिकेशन राउंड में 2017 के विश्व चैंपियन जोहानेस वेटर को हराकर फाइनल के लिए क्वालीफाई किया था। जोहानेस वही एथलीट हैं जिन्होंने कहा था कि उन्हें हराना किसी के लिए आसान नहीं होगा। लेकिन नीरज ने मात दी। नीरज का फाइनल में पहुंचना एक बड़ी उपलब्धि है। क्योंकि ओलंपिक के इतिहास में भारत की तरफ से अब तक कोई भी एथलीट ट्रैक एंड फील्ड स्पर्धा में पदक नहीं जीत पाया है। जेवेलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा इस सूखे को खत्म कर सकते हैं।

नीरज चोपड़ा का हरियाणा से है ताल्लुक

नीरज चोपड़ा हरियाणा के पानीपत जिले के खांद्रा गांव के रहने वाले हैं। उनका जन्म 24 दिसंबर 1997 को एक किसान परिवार में हुआ। उन्होंने चंडीगढ़ के डीएवी कॉलेज में पढ़ाई की। इसी साल 2016 में पोलैंड में हुए आईएएएफ चैंपियनशिप में 86.48 मीटर दूर भाला फेंककर स्वर्ण पदक जीता था। उनके इस प्रदर्शन के बाद उन्हें सेना में अधिकारी नियुक्त किया गया था। इसके बाद उन्होंने अपने एक साक्षात्कार में कहा था कि मेरा ताल्लुक किसान परिवार से है।

जब नीरज ने तोड़ा अपना ही रिकॉर्ड

साल 2018 में एशियाई खेलों का आयोजन इंडोनेशिया के जकार्ता में किया गया। इस एशियाड में नीरज चोपड़ा ने 88.06 मीटर दूर भाला फेंक स्वर्ण पदक जीता। वह एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाले भारत के पहले एथलीट हैं। एशियाड में भाला फेंक स्पर्धा में भारत ने अब तक सिर्फ दो पदक जीते हैं। नीरज से पहले साल 1982 में गुरतेज सिंह ने कांस्य पदक जीता था। साल 2018 में एशियन और कॉमनवेल्थ गेम्स में शानदार प्रदर्शन करने वाले नीरज चोट का शिकार हो गए। इसके बाद कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के चलते भाला फेंक की कई स्पर्थाओं का आयोजन नहीं हो सका। मार्च 2021 में इंडियन ग्रांड प्रिक्स में  नीरज ने 88.07 मीटर का थ्रो कर अपनी ही रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिया था। जेवलिन थ्रो में नीरज का यह अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है।

छोटी उम्र में दिखा दिया बाजुओं का दम

23 वर्षीय नीरज एथलीट अंजू बॉबी जॉर्ज के बाद दूसरे भारतीय हैं जिन्होंने एथलेटिक्स में स्वर्ण पदक जीता है। उन्होंने 2016 में आईएएएफ वर्ल्ड अंडर 20 में स्वर्ण पदक जीता। 2016 में दक्षिण एशियाई खेलों को दौरान 82.23 मीटर दूर भाला फेंककर उन्होंने गोल्ड मेडल पर कब्जा किया। इसके बाद 2017 में नीरज ने 85.23 मीटर का थ्रो कर एशियन एथलेक्टिस चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता था।

नीरज इन स्पर्धाओं में जीत चुके हैं स्वर्ण पदक

एशियन गेम्स 2018 जकार्ता स्वर्ण पदक, कॉमनवेल्थ गेम 2018 गोल्ड कोस्ट स्वर्ण पदक, एशियन चैंपियनशिप 2017 भुवनेश्वर स्वर्ण पदक, दक्षिण एशियाई खेल गुवाहाटी 2016 स्वर्ण पदक, वर्ल्ड जूनियर चैंपियनशिप 2016 गोल्ड मेडल, एशियन जूनियर चैंपियनशिप 2016 रजत पदक।

 

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