लखनऊ। उत्तर प्रदेश की स्वाथ्य सुविधाओं के लिए आजादी के अमृत महोत्सव संजीवनी बना। आजादी के बाद आबादी के लिहाज से सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं का इजाफा सबसे बड़ा मुद्दा हुआ करता था। उत्तर प्रदेश में 46 अस्पताल मात्र 2 मेडिकल कॉलेज हुआ करते थे। लेकिन पिछले 5 सालों में योगी सरकार ने प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग में जान फूकते हुए न सिर्फ चिकित्सीय सेवाओं में इजाफा किया बल्कि चिकित्सा शिक्षा पर भी विशेष तौर पर काम किया।
सदी की सबसे बड़ी महामारी को कोरोना में जान भी जहान भी के मूल मंत्र पर काम करते हुए 2 सालों में स्वास्थ्य सुविधाओं को बूस्टर डोज देने का काम प्रदेश सरकार ने किया है। जिसका परिणाम है कि आज शहर से लेकर गांव तक स्वास्थ्य सेवाएं बढ़ीं हैं। बड़े शहरों में रेफर केस में कमी, सीएचसी पीएचसी का कायाकल्प, बड़े अस्पतालों में नए संसाधनों के साथ इलाज, वन डिस्ट्रिक वन मेडिकल कॉलेज के साथ वन डिस्ट्रिक वन लैब की नीति पर तेजी से काम किया जा रहा है। वर्तमान में केजीएमयू, संजय गांधी पीजीआई लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान जैसे विशिष्ट चिकित्सा संस्थानों के साथ-साथ प्रदेश में 59 राजकीय मेडिकल कालेज है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) गोरखपुर और रायबरेली में हैं।
हर जिले में आरटीपीसीआर जांच लैब
मार्च 2020 में जब कोरोना संक्रमण ने दस्तक दे तब केजीएमयू में सिर्फ 70 सेंपल के जांच की व्यवस्था थी। अब सभी जिलों में आरटीपीसीआर लैब हैं। हर दिन साढ़े तीन तक जांच की जा सकती है। प्रदेश में 561 अस्पतालों में आक्सीजन प्लांट क्रियाशील किए जा चुके हैं। केजीएमयू पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. वेद प्रकाश ने बताया कि प्रदेश में कोरोना से मजबूती के साथ मुकाबला कर उसे काबू में किया गया। प्रदेश में स्वास्थ्य के क्षेत्र में काफी सुधार हुआ है।
इंसेफ्लाइटिस पर किया प्रभावी नियंत्रण
प्रदेश में इसेफलाइटिस पर प्रभाव के लिए काफी प्रयास किए गए। वर्ष 11978 से लेकर 2016 तक इसेफलाइटिस से हर साल 1200 से 1800 तक बच्चों की मौत होती थी। अब इसमें 95 प्रतिशत तक कमी आई है। मस्तिष्क चर से जान बचाने के लिए 16 पीडियाट्रिक आइसीयू (पीकू) और 15 मिनी बनाए गए 177 इंसेफलाइटिस उपचार केंद्र बनाकर इस पर नियंत्रण किया गया।
शुरू हुई पीजी की पढ़ाई, एमबीबीएस की सीटें बढ़ीं
आजादी से लेकर साल 2017 तक प्रदेश में मेडिकल कॉलेज की संख्या 12 थी लेकिन योगी सरकार ने पांच साल में स्वास्थ्य सुविधाओं को दी गई बूस्टर डोज का नतीजा है कि अब 59 मेडिकल कालेज है। इसके अलावा जिला अस्पताल की संख्या बढ़कर 174,
937 सीएचसी है और 29 निर्माणाधीन, 3691 पीएचसी है और 114 निर्माणाधीन हैं। वर्ष 1950 तक मेडिकल कालेज में पीजी की पढ़ाई नहीं होती है। अब पीजी की 2091 और डीएम व एमसीएच की 177 सीटें है। एमबीबीएस की सीटे भी बढ़ी है। सरकारी मेडिकल कालेज में एमबीबीएस की 3828 और निजी में 4150 सीटें है।