गोरखपुर। महापर्व होली का दिन। रंग, उमंग व तरंग के उत्सव के कारण यह दिन यूं भी खास होता है। इस बार तो यह खास से बेहद खास होने के साथ ही ऐतिहासिक भी हो गया। हो भी क्यों न! वैश्विक महामारी कोरोना के कारण दो साल से होली के दिन जिस भगवान नृसिंह की शोभा यात्रा की अगुवाई गोरक्षपीठ के उत्तराधिकारी एवं गोरक्षपीठाधीश्वर के रूप में करीब दो दशकों से योगी आदित्यनाथ करते रहे हैं, वह हुआ ही नहीं था। लिहाजा शहर को इस अवसर की शिद्दत से प्रतीक्षा थी। तब तो और भी जब 10 मार्च को उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनावों में दोबारा भारी बहुमत से आकर भाजपा ने इतिहास रच डाला।
वैसे तो गोरखपुर के लोगों की होली चुनाव परिणाम वाले दिन से शुरू हो गई थी, पर आज के ऐतिहासिक दिन को उसी तरह से जश्न मनाने का हर किसी को इंतजार था। आज जब वह अवसर आया तो लोगों ने ऐसा किया भी। भगवान नृसिंह की रंग भरी शोभायात्रा का शुभारंभ करने शनिवार सुबह योगी आदित्यनाथ जैसे ही घण्टाघर पहुंचे, पूरा शहर योगी के रंग में रंगा सा नजर आया। और हां, यहां जुटे शहर के लोंगों ने भी योगी को अपने रंग में रंग डाला। फिर तो सुबह के कुछ घण्टों के लिए योगी-योगी और जय श्रीराम का जयकारा ही फगुवा रूप में था। सीएम योगी की मौजूदगी में कार्यक्रम स्थल अगर कुछ था तो आसमान से बरसता रंग और हवा में उड़ता गुलाल और गुलाब। भगवान नृसिंह की पूजा करने के बाद योगी ने समर्थकों के उत्साह के साथ खुद को जोड़ लिया और अबीर, गुलाल और गुलाब की पंखुड़ियों को उड़ाते हुए जमकर होली खेली।
नानाजी देशमुख ने डाली थी यह परंपरा
अनूठी होली की यह परंपरा करीब सात दशक पहले नानाजी देशमुख ने डाली थी। बाद में नरसिंह शोभायात्रा की अगुवाई गोरखनाथ मंदिर के पीठाधीश्वर करने लगे। लोगों के मुताबिक कारोबार के लिहाज से गोरखपुर का दिल माने जाने वाले साहबगंज से इसकी शुरुआत 1944 में हुई थी। शुरू में गोरखपुर की परंपरा के अनुसार इसमें कीचड़ का ही प्रयोग होता है। हुड़दंग अलग से। अपने गोरखपुर प्रवास के दौरान नानाजी देशमुख ने इसे नया स्वरूप दिया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सक्रिय भागीदारी से इसका स्वरूप बदला साथ ही लोगों की भागीदारी भी बढ़ी। और, आज तो जोश-जुनून और संख्या के मामले में शहर के लोंगों ने अपने महराज, गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए इतिहास ही रच डाला।