लखनऊ। राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने सशक्त राष्ट्र और समरस समाज की स्थापना के लिए बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के जीवन मूल्यों को आदर्श बताया है। राष्ट्रपति ने कहा है कि बाबा साहेब के ‘विजन’ में ‘नैतिकता’, ‘समता’, ‘आत्म-सम्मान’ और ‘भारतीयता’ प्रमुख तत्व हैं। इन चारों आदर्शों तथा जीवन मूल्यों की झलक बाबा साहेब के चिंतन एवं कार्यों में दिखाई देती है। वह पहले भारतीय फिर हिन्दू-मुसलमान की सोच से भी आगे एकमात्र “भारतीय” पहचान होने के पक्षधर थे। उनके जीवन-मूल्यों और आदर्शों के अनुरूप समाज व राष्ट्र का निर्माण करने में ही हमारी वास्तविक सफलता है। इस दिशा में हमने प्रगति अवश्य की है लेकिन अभी हमें और आगे जाना है।
राष्ट्रपति कोविन्द, मंगलवार को राजधानी लखनऊ में भारत रत्न डॉ. भीमराव आंबेडकर स्मारक एवं सांस्कृतिक केंद्र के शिलान्यास कार्यक्रम में उपस्थित थे। लोकभवन में आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रपति ने डॉ. आंबेडकर की स्मृतियों को सहेजने के सुविचारित प्रयासों के लिए राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को साधुवाद दिया। उन्होंने कहा कि, भारत सरकार द्वारा बाबासाहब से जुड़े महत्वपूर्ण स्थानों को तीर्थ-स्थलों के रूप में विकसित किया गया है। महू में उनकी जन्म-भूमि, नागपुर में दीक्षा-भूमि, दिल्ली में परिनिर्वाण-स्थल, मुंबई में चैत्य-भूमि तथा लंदन में ‘आंबेडकर मेमोरियल होम’ को तीर्थ-स्थलों की श्रेणी में रखा गया है। इसी कड़ी में अब लखनऊ में यह केंद्र भी होगा। राष्ट्रपति ने विश्वास जताया कि लखनऊ में स्तगपित यह सांस्कृतिक केंद्र बाबा साहेब की गरिमा के अनुरूप शोध के क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित होगा। उन्होंने सुझाव दिया कि इस सांस्कृतिक केंद्र को बाबा साहेब आंबेडकर केंद्रित विश्वविद्यालय से भी जोड़ना चाहिए। इससे उनके विचारों को और गति मिल सकेगी।
शिलान्यास कार्यक्रम में राष्ट्रपति ने लखनऊ से डॉ. आंबेडकर के जुड़ाव की चर्चा भी की। कहा कि, लखनऊ शहर से बाबासाहब आंबेडकर का भी एक खास संबंध रहा है, जिसके कारण लखनऊ को बाबा साहब की ‘स्नेह-भूमि’ भी कहा जाता है। बाबासाहब के लिए गुरु-समान, बोधानन्द जी और उन्हें दीक्षा प्रदान करने वाले भदंत प्रज्ञानन्द जी, दोनों का निवास लखनऊ में ही था। राष्ट्रपति ने कुछ समय पूर्व भदंत प्रज्ञानंद की स्मृति स्थली भ्रमण की स्मृतियों को भी ताजा किया।
साम्राज्यवादियों ने भी स्वीकारे बुद्ध के सांस्कृतिक आयाम:
राष्ट्रपति ने कहा कि भगवान बुद्ध के विचारों का भारत की धरती पर इतना गहरा प्रभाव है कि भारतीय संस्कृति के महत्व को न समझने वाले साम्राज्यवादी लोगों को भी महात्मा बुद्ध से जुड़े सांस्कृतिक आयामों को अपनाना पड़ा। राष्ट्रपति भवन हो अथवा संसद भवन हर कहीं ‘बुद्ध’ हैं। लोकसभा अध्यक्ष के आसन के ऊपर भी “धर्मचक्र-प्रवर्तनाय” लिखा हुआ है। डॉक्टर भीमराव आंबेडकर ने भगवान बुद्ध के विचारों को प्रसारित किया। उनके इस प्रयास के मूल में करुणा, बंधुता, अहिंसा, समता और पारस्परिक सम्मान जैसे भारतीय मूल्यों को जन-जन तक पहुंचाने का और सामाजिक न्याय के आदर्श को कार्यरूप देने का उनका उद्देश्य परिलक्षित होता है। भगवान बुद्ध ने ‘भवतु सर्व मंगलम’ का आशीष दिया है, यही सर्वमंगल की कामना, समता और बंधुत्व के रूप में संविधान शिल्पी बाबा साहेब ने संविधान की प्रस्तावना में लिखा है। राष्ट्रपति ने सभी सरकारों के लिए इसी भावना के पालन की जरूरत बताते हुए वर्तमान केंद्र और राज्य सरकार सरकार द्वारा समतामूलक समाज के लिए किए जा रहे प्रयासों पर प्रसन्नता जाहिर की।
सशक्त होतीं महिलाएं, साकार होता सपना:
बाबा साहेब के आदर्शों का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति कोविन्द ने कहा कि बाबासाहब, आधुनिक भारत के निर्माण में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका के पक्षधर थे। वे महिलाओं को समान अधिकार दिलाने के लिए सदैव सक्रिय रहे। बाबासाहब द्वारा रचित हमारे संविधान में आरंभ से ही मताधिकार समेत प्रत्येक क्षेत्र में महिलाओं को समान अधिकार प्रदान किए गए हैं। यही नहीं, आज महिलाओं के संपत्ति पर उत्तराधिकार जैसे अनेक विषयों पर बाबासाहब द्वारा सुझाए गए मार्ग पर ही हमारी विधि-व्यवस्था आगे बढ़ रही है। इससे यह स्पष्ट होता है कि बाबासाहब की दूरदर्शी सोच अपने समय से बहुत आगे थी। उन्होंने कहा कि बाबासाहब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर एक शिक्षाविद, अर्थ-शास्त्री, विधिवेत्ता, राजनीतिज्ञ, पत्रकार, समाज-शास्त्री व समाज सुधारक तो थे ही, उन्होंने संस्कृति, धर्म और अध्यात्म के क्षेत्रों में भी अपना अमूल्य योगदान दिया है। भारतीय संविधान के शिल्पकार होने के अलावा, हमारे बैंकिंग, इरिगेशन, इलेक्ट्रिसिटी सिस्टम, लेबर मैनेजमेंट सिस्टम, रेवेन्यू शेयरिंग सिस्टम, शिक्षा व्यवस्था आदि सभी क्षेत्रों पर डॉक्टर आंबेडकर के योगदान की छाप है।
दुनिया में जहां भी वंचित-पीड़ित की बात होगी, याद आएंगे बाबा साहेब : योगी आदित्यनाथ
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारतीय संविधान शिल्पी बाबा साहेब न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया में पीड़ितों-वंचितों के सबसे ओजस्वी स्वर हैं। जब भी कहीं दलित, पीड़ित, वंचित अथवा समाज के अंतिम पायदान पर मौजूद व्यक्ति की बात होगी, मानवता पूरी श्रद्धा के साथ बाबा साहेब का स्मरण करेगी। शिलान्यास कार्यक्रम आयोजन तिथि तय करने के बारे में सीएम ने बताया कि आज से 93 वर्ष पूर्व 29 जून 1928 को ही डॉ. आंबेडकर ने “समता” नाम से साप्ताहिक पत्रिका की शुरुआत की थी। इसीलिए जब उनकी स्मृतियों को सहेजने की दिशा में इस सांस्कृतिक केंद्र के शिलान्यास का मौका है तो इससे बेहतर और कोई दिवस नहीं हो सकता। सीएम ने कहा कि पराधीनता के उस कालखंड में भी बाबा साहेब ने समतामूलक समाज के लिए संघर्ष किया। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में बाबा साहेब के सपनों को साकार करने का कार्य किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा बाबा साहेब की स्मृतियों से जुड़े “पंचतीर्थों” को सहेजने के प्रयास को विश्व मानवता के लिए अनुपम उपहार कहा। सीएम योगी ने शिलान्यास की स्वीकृति देने के लिए राष्ट्रपति दंपति के प्रति आभार भी जताया।
सभी के लिए आदर्श है संविधान शिल्पी का जीवन-कृतित्व: राज्यपाल
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और उनकी पत्नी सविता कोविन्द का अभिनन्दन किया। साथ ही, बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के जीवन को सभी के लिए आदर्श बताया। उन्होंने विश्वास जताया कि बाबा साहेब की स्मृतियों को संजोने और नई पीढ़ी को उनके मूल्यों से परिचित कराने ने यह नवीन केंद्र महत्वपूर्ण सिद्ध होगा। राज्यपाल ने डॉ. आंबेडकर के जीवन मूल्यों, संघर्ष गाथा और समतामूलक समाज के लिए किए गए प्रयासों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब के आदर्शों को केंद्र में रखकर केंद्र व राज्य सरकार वंचित वर्ग के उत्थान के लिए अनेक प्रयास कर रही हैं। इससे पहले, संस्कृति मंत्री डॉ.नीलकंठ तिवारी ने कहा कि इन दिनों देश में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है, तो उत्तर प्रदेश चौरीचौरा शताब्दी वर्ष में वीरों को नमन कर रहा है। यह सभी प्रयास स्वातंत्र्य सैनिकों को श्रद्धांजलि स्वरूप है। प्रदेश सरकार महापुरुषों के व्यक्तित्व-कृतित्व से नई पीढ़ी को परिचित कराने के उद्देश्य से अनेक प्रयास कर रही है। इसी क्रम में पूज्य बाबा साहेब की स्मृतियों को संजोने में के लिए इस नवीन केंद्र की स्थापना कराई जा रही है।
सर्व मंगल की कामना के साथ आध्यात्मिक हुआ माहौल
शिलान्यास से पूर्व कार्यक्रम में सर्व मंगल की कामना के साथ वैदिक मंत्रों का पाठ हुआ तो भिक्षु गणों ने संगायन से माहौल को आध्यात्मिक बना दिया। राष्ट्रपति भी इससे प्रभावित हुए और अपने उद्बोधन में इसका जिक्र भी किया। बालिकाओं ने “ॐ संगच्छध्वं संवदध्वं,सं वो मनांसि जानताम् , देवा भागं यथा पूर्वे, सञ्जानाना उपासते।।” का वाचन किया तो भिक्षु गणों ने “नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मा सम्बुद्धस्स।” का गायन कर “भवतु सर्व मंगलं” का उद्घोष किया।
एक नजर में: भारत रत्न डॉ. भीमराव आंबेडकर स्मारक एवं सांस्कृतिक केन्द्र
● बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर द्वारा देश एवं समाज के उत्थान हेतु की गयी सेवाओं के अनेक आयाम हैं। युवा पीढ़ी को डॉ आंबेडकर के आदर्शों से परिचित कराने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लखनऊ में भारत रत्न डॉ. भीमराव आंबेडकर स्मारक एवं सांस्कृतिक केन्द्र का निर्माण एक प्रेरणास्थल के रूप में कराया जा रहा है।
● ऐशबाग, लखनऊ में 1.34 एकड़ क्षेत्र में भारत रत्न डॉ. भीमराव आंबेडकर स्मारक एवं सांस्कृतिक केन्द्र के निर्माण हेतु भूमिचयनित कर ली गयी है । सांस्कृतिक केन्द्र में प्रवेश द्वार के ठीक सामने भारत रत्न डॉ. भीमराव आंबेडकर जी की 25 फीट ऊँची प्रतिमा की स्थापना के साथ ही बाबा साहब की पवित्र अस्थियों का कलश भी दर्शनार्थ स्थापित किया जाएगा।
● सांस्कृतिक केन्द्र में पुस्तकालय, शोध केन्द्र, अत्याधुनिक प्रेक्षागृह, आभासी संग्रहालय, डॉरमेट्री, कैफेटेरिया, भूमिगत पार्किंग एवं अन्य जनसुविधाएं भी विकसित की जाएंगी।