Uttar Pradesh

जब मुगल सनातन धर्म को नष्ट करने के लिए रहते थे उतावले तो गांव-गांव में होती थी रामलीला: सीएम योगी

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जब हम अपनी भाषा में अपने इष्ट की आराधना के दौरान दो शब्द कहते हैं तो मान्यता है कि इष्ट से उसका सीधा संवाद होता है। मध्यकाल में संत तुलसीदास द्वारा रचित राम चरित्र मानस को पहले ही मेधज़ एस्ट्रो द्वारा यूट्यूब पर सस्वर गायन के माध्यम से करोड़ों श्रोताओं तक पहुंचायी जा चुकी है। बताया जाता है कि जब संत तुलसीदास ने संस्कृत में आधुनिक रामायण लिखने का प्रयास किया तो ग्रंथ हमेशा नष्ट हो जाता था। अंततः काशी में स्वयं भगवान विश्वनाथ ने दर्शन दे कर उन्हें संस्कृत नहीं, लोक भाषा में रचना करने को कहा। उस समय लोक भाषा के रूप में अवधी को महत्व दिया गया और तुलसीदास काशी से अयोध्या आए। उन्होंने राम चरित्र मानस को अवधी में लिखना प्रारंभ किया। एक ओर, जब मुगल आक्रांता भारत के सनातन धर्म और संस्कृति को नष्ट करने के लिए उतावले दिख रहे थे तो उस समय गांव-गांव में रामलीलाओं का आयोजन किये जा रहे थे। यह रामचरित्र मानस की प्रेरणा को दर्शाता था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह बातें श्रीमद् देवी भागवत महापुराण की भावपूर्ण व्याख्या सहित डॉ. समीर त्रिपाठी के स्वर में संगीतमय प्रस्तुति के विमोचन पर कहीं।

भारत ही दुनिया में ऐसा देश जहां साल में दो बार होती है शक्ति की आराधना

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि रामलीला में आज भी जाति-वर्ण को पीछे छोड़कर सब एकजुट होकर उसका मंचन करते हैं। यह जन चेतना की जागरूकता को दर्शाता है। पूरी दुनिया में भारत ही ऐसा देश है जहां साल में दो बार शक्ति की आराधना की जाती है। उसी शक्ति को हम अपने जीवन में अंगीकार कर सकें इसलिए हमारे यहां अनुष्ठान, गोत्र और उपासना का महत्व है। यह मान्यता है कि विश्व में जो भी शक्ति है वह देवी के रूप में है। हम जगत जननी मां भगवती, दुर्गा, मां सरस्वती, मां लक्ष्मी और महाकाली के रूप में उनकी आराधना कर सकते हैं। शक्ति की उपासना सनातन हिंदू धर्मावलंबी पौराणिक काल से ही करता आया है। हर एक काल, खंड में स्वरूप बदले होंगे, लेकिन हम सभी रूपों की आराधना करते आए हैं। उसका एक रूप आज यूट्यूब में रुचि रखने वाले उन सभी दर्शकों और श्रोताओं के लिए मेधज एस्ट्रो एक नए रूप में उपलब्ध करवाया जा रहा है।

शब्द है ब्रह्म का प्रतीक

सीएम योगी ने कहा कि शब्द शुद्ध और नियत हों तो वह ब्रह्म का प्रतीक होते हैं। शब्द अपने आप में एक मंत्र है। शब्द को भारतीय मनीषा में हमेशा महत्व दिया गया है। हमेशा इस बात को माना गया है कि हर अक्षर, शब्द में मंत्र बनने का सामर्थ्य है। उस शब्द को बोला कैसे जा रहा है और उस शब्द को व्यक्त करने का तरीका क्या है यह वक्ता पर निर्भर करता है इसलिए शब्द को ब्रह्म के रूप में मान करके जब हम उसका अनुसंधान और अनुष्ठान करते हैं तो वह अपने आप में मंत्र बनता है।कार्यक्रम में मेधज एस्ट्रो के सीएमडी समीर त्रिपाठी, उनके माता रेखा त्रिपाठी, अलका त्रिपाठी, गुंजन त्रिपाठी, एसटीएफ के अपर पुलिस महानिदेशक के अमिताभ यश आदि मौजूद रहे।

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BRIJESH SINGH
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