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जहां राम का गुणगान करते थे पक्षी, वह झील संवार रही योगी सरकार

अयोध्या। योगी हैं तो यकीन है कि अयोध्या से जुड़े पौराणिक स्थल गौरवशाली अतीत के साथ समृद्धशाली वर्तमान की गाथा गाएंगे। यह स्थल न सिर्फ प्रदेश वरन देश में भी पुनः अलग पहचान बनाएंगे। सरकार की ऐसी ही प्राथमिकता में शामिल समदा झील के दिन भी जल्द ही बहुरेंगे। आम जनमानस से जुड़े कार्यों को रफ्तार देने के लिए योगी सरकार विकास को नया अमलीजामा पहना रही है। अयोध्या से लगभग 20 किलोमीटर दूर सोहावल तहसील क्षेत्र के ग्राम पंचायत कोला भिटौरा मोइयाकपुर सहित तीन ग्राम पंचायतों में 67 एकड़ में फैली समदा सबसे बड़ी झील है। इसका जीर्णोद्धार तेजी से कराया जा रहा है।

त्रेतायुग की समदा नदी बनी थी समदा झील

अयोध्या की समदा झील ऐतिहासिक और पौराणिक है। इसकी पौराणिक मान्यता है कि यह प्रभु श्रीराम के समय से ही अस्तित्व में है। यहां से प्रवाहित होने वाली समदा नदी जब सूख गई तो उस समय कुछ अवशेष के रूप में इस झील को छोड़ गई, जिसे आज समदा झील के रूप में जाना जाता है। यहां के लोगों की मानें तो इस झील पर पक्षियों का समूह अपने राम का गुणगान करता था। मान्यता है कि उस समय स्थानीय लोग पक्षियों की मधुर आवाज सुनने के लिए बैठे रहते थे। इस झील के जीर्णोद्धार को लेकर जिला प्रशासन 2017 के पहले भी प्रयास कर चुका है, लेकिन लाखों खर्च करने के बावजूद भी हालात नहीं बदले। जब सूबे में योगी सरकार आई तो प्रयत्न किए गए कि यहां की पौराणिकता को वर्तमान पीढ़ी जाने। इसके लिए पंख लगने शुरू हो गए।

प्रवासी पक्षियों का लगता है जमावड़ा

इस झील की विशेषता यह भी है कि यहां स्थानीय पक्षियों के साथ प्रवासी पक्षियों (साइबेरियन, ऑस्ट्रेलियन व नेपाली) का भी जमावड़ा देखा जाता है। आसपास के जनपदों के लोग यहां के विहंगम दृश्य से दो-चार होने पहुंचते हैं। स्थानीय लोगों की मानें तो झील के कायाकल्प के बाद यहां पक्षियों के लिए भी सुरक्षा का माहौल तैयार हो जाएगा।

बनाया जा रहा बंधा, 75 प्रतिशत कार्य पूरा

योगी सरकार की मंशा पर झील का जीर्णोद्धार अयोध्या विकास प्राधिकरण की ओर से कराया जा रहा है। अवर अभियंता प्रमोद कुमार शर्मा ने बताया कि अभी मिट्टी डालने का काम चल रहा है। बंधा बनाया जा रहा है। यहां लगभग 75 प्रतिशत काम पूरा कर लिया गया है। यह प्रोजेक्ट मई में शुरू किया गया था, अक्टूबर तक इसे पूरा करने का लक्ष्य है। इस पर 8.33 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। शेष कार्य दूसरे चरण में किया जाएगा।

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BRIJESH SINGH
the authorBRIJESH SINGH