भारत को आज़ादी 1947 में 15 अगस्त को मिली थी, लेकिन देश को गणतंत्र घोषित करने में 26 जनवरी 1950 तक का इंतजार क्यों करना पड़ा। आखिर ऐसा क्यों हुआ।
हमारे नेता डोमिनन स्टेटस के पक्ष में थे जहां पर यूके का मोनार्च ही भारतीय संविधान का अध्यक्ष होगा। कांग्रेस से अलग भगत सिंह और उनकी फौज ने भारत की पूरी आजादी की बात रखी।
इंडियन नेशनल कांग्रेस के जो युवा नेता सुभाष चंद्र बोस, जवाहर लाल नेहरु भी प्रभावित हो गए। उन्होंने कांग्रेस से कहा की वह पूरी आजादी की मांग करे, लेकिन उनकी ये आवाज सुनी नहीं गई। दिसंबर 1928 में आईएनसी ने डोमिनन स्टेटश की मांग करते हुए एक प्रस्ताव लाई, और ब्रिटिश सरकार को एक साल का समय दिया।
ब्रिटिश ने इस विचार को नकार दिया, ये कहते हुए कि भारत डोमिनन स्टेटस के लिए अभी तैयार नहीं है। 1929 में एक सेशन के दौरान नेहरू को अध्यक्ष चुन लिया गया। और कांग्रेस ने डोमिनन स्टेटस से अलग पूर्ण स्वराज के लिए वोट किया। इसके बाद एक प्रस्ताव पारित हुआ कि 1930 में जनवरी के आखिरी रविवार को स्वतंत्रा दिवस के रुप में मनाया जाए। जनवरी का आखिरी रविवार 1930 में 26 तारीख को पड़ा।
इस दिन जवाहर लाल नेहरु ने लाहौर में रवि नदी के किनारे तिरंगा फहराया। इसके बाद भारत ने 26 जनवरी 1930 को स्वतंत्रा दिवस के रुप में मनाया। लेकिन ब्रिटिश तभी थे। 15 अगस्त 1947 से पहले जब भारत को आजादी मिली, हमारा संविधान 26 नवंबर 1949 तक तैयार हो गया था। ऐसे 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रुप में मनाया जाता है।