लखनऊ। शोध और अनुसंधान को बढ़ावा देने में योगी सरकार 1.0 की उपलब्धियां काफी बेहतर रहीं हैं। शिक्षा में नवाचार के साथ ही सरकार ने बीते पांच सालों में सर्वाधिक 18 शोध पीठों की स्थापना और 316 शिक्षकों के शोध और अनुसंधान प्रोजेक्ट्स को मंजूरी देने में भी भाजपा सरकार ने बड़ी लकीर खींचा है।
यह उपलब्धि इस मायने में महत्वपूर्ण है कि 2003 से 2017 तक एक भी प्रोजेक्ट स्वीकृत नहीँ हुए थे । शोध और अनुसंधान को प्रोत्साहन देने में योगी सरकार आगे रही और इस मद में लगभग आठ करोड़ रुपये आवंटित किये थे।
शिक्षा में नवाचार के साथ ही शोध और रिसर्च पर फोकस कर रही योगी
सरकार ने पांच साल में कई कदम उठाये हैं। इस दिशा में 18 शोधपीठों की स्थापना को अहम माना रहा है । 2003 से 2007 तक एक भी शोधपीठ स्थापित नही हुए । जबकि 2007 से 2012 के दौरान 6 और 2012 से 2017 तक एक शोधपीठ की स्थापना हुई थी । शिक्षकों के लिए स्वीकृत शोध और अनुसंधान प्रोजेक्ट के लिहाज से 2003 से लेकर 2017 तक अर्थात 14 साल की उपलब्धियां निराशाजनक रही हैं क्योंकि इस दौरान एक भी प्रोजेक्ट स्वीकृत नही हुए । जबकि योगी सरकार ने 316 प्रोजेक्ट्स को मंजूरी देकर सरकार की सोच को उजागर किया है। इसी क्रम में योगी सरकार ने 10 करोड़ 77 लाख की लागत से 89 सेंटर आफ एक्सीलेंस खोले हैं। इसके पहले 2012 से 2017 तक महज एक करोड़ 92 लाख रुपये दिये गये थे । शोध एवं अनुसंधान के प्रोत्साहन के लिए 7 करोड़ 80 लाख रुपये दिये गये।