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रंजीत आज भी शरमाते हैं

Ranjeetdriverdeadजयदीप सरीन

चंडीगढ़ | उनका नाम बॉलीवुड के सबसे मशहूर खलनायकों में गिना जाता है। पर्दे पर उनकी छवि एक दुष्कर्मी की है, लेकिन फिर भी उनका कहना है कि वह हमेशा से एक शर्मीले व्यक्ति रहे हैं। बॉलीवुड में लगभग पांच दशक बिता चुके अभिनेता रंजीत का कहना है कि उन्होंने खुद के बूते पर सिनेमा जगत में पहचान बनाई है। रंजीत ने यहां साक्षात्कार में मीडिया को बताया, “फिल्म उद्योग में मेरे 50 साल पूरे हो रहे हैं। मैंने अपनी जिंदगी अपनी शर्तो पर जी है। मेरा कोई रखवाला नहीं था। अपनी (एक बुरे व्यक्ति की) छवि के बावजूद, मैं कभी किसी विवाद में नहीं घिरा। मैं कह सकता हूं कि मैंने अपनी जिंदगी बेहद अच्छी तरह बिताई है।”

हर भारतीय भाषा में और 500 से भी अधिक फिल्मों में विभिन्न किरदार निभा चुके रंजीत का कहना है कि उनके लिए काम सर्वोपरि है। उन्होंने कहा, “काम मेरे लिए काम ही है। मैं अभिनय के क्षेत्र में कोई भी काम कर सकता हूं। मैं फिल्मों से लेकर टेलीविजन या थियेटर कहीं भी काम कर सकता हूं। मैं कुछ भी करने के लिए तैयार हूं।” पंजाब के अमृतसर के नजदीक जंदियाला गुरु शहर में एक रूढ़ीवादी सिख परिवार में जन्मे रंजीत का नाम उनके परिवार ने गोपाल बेदी रखा था। रंजीत ने कभी भी फिल्मों में आने के लिए कोई प्रयास नहीं किया।

रंजीत ने बताया, “जब मैं छोटा था, मैं कम से कम छह घंटे फुटबॉल खेलता था। मैं गोलकीपर बनता था और सभी मुझे ‘गोअली’ बुलाते थे। तभी से मेरे साथ यह नाम जुड़ा है। मैं भारतीय वायुसेना के लिए चुन लिया गया था, लेकिन मुझे प्रशिक्षण के दौरान इसे बीच में ही छोड़ना पड़ा।” फिल्मों में अपने आने की कहानी बताते हुए रंजीत ने बताया कि संयोग से तब वह बम्बई(अब मुंबई) में थे और एक पार्टी में उपस्थित थे, तभी एक निर्माता ने उनसे पूछा कि क्या फिल्मों में उनकी रुचि है। रंजीत ने बताया, “मैंने तत्काल ‘हां’ कह दिया और मेरे फिल्मी करियर की शुरुआत हो गई।” कुछ समय दिल्ली के हिंदू कॉलेज में पढ़े रंजीत ने फिल्म ‘सावन भादो’ में रेखा के भाई के किरदार से 1966-67 में फिल्म उद्योग में कदम रखा।

सुपरस्टार सुनील दत्त ने उन्हें ‘रंजीत’ नाम दिया था। उनके साथ उन्होंने 1968 में ‘रेशमा और शेरा’ फिल्म में काम किया था। नकारात्मक किरदारों में अपने नाम का सिक्का चला चुके रंजीत का कहना है कि उन्होंने खलनायक और दुष्कर्मी वाली अपनी छवि के साथ जीना सीख लिया है। यादों के झरोखों में झांकते हुए रंजीत ने बताया, “मेरा परिवार बेहद रूढ़ीवादी था। जब उन्हें पता चला कि फिल्म ‘शर्मीली’ में मैंने अभिनेत्री के साथ दुष्कर्म किया है, उन्होंने मुझे घर से निकाल दिया। कुछ समय तक मुझे फिल्मों में काम करना बंद करना पड़ा और अपने परिवार को समझाना पड़ा कि वह केवल अभिनय था।”

रंजीत ने कहा, “मैं आज भी एक शर्मीला व्यक्ति हूं। मैं एक शाकाहारी हूं और शराब का सेवन बेहद कम करता हूं।” रंजीत का मानना है कि के.एन. सिंह, प्राण, प्रेम चोपड़ा, अमजद खान, गुलशन ग्रोवर, अमरीश पुरी और शक्ति कपूर जैसे ‘प्रतिष्ठित’ खलनायकों के दिन लद चुके हैं। उन्होंने कहा, “भारतीय फिल्मों के दर्शक अभी भी खलनायक के पर्दे पर आने के रोमांच का इंतजार करते हैं, लेकिन अब चीजें बदल चुकी हैं। कई हीरो भी अब नकारात्मक किरदार करने लगे हैं।” चुटकी लेते हुए रंजीत ने कहा कि खलनायकों के किरदार भी अभिनेत्रियों के कपड़ों की तरह छोटे हो गए हैं।

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