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पर्दे के तालमेल को असल जिंदगी से जोड़ देते हैं लोग : फरहान

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नई दिल्ली | अपनी पत्नी के साथ 15 साल का शादीशुदा बंधन तोड़ने की खबरें आने के साथ ही अभिनेता, गायक और फिल्मकार फरहान अख्तर की निजी जिंदगी में अपनी साथी अभिनेत्रियों से जुड़ने की खबरें भी चर्चा में हैं। फरहान से इस बारे में बात करने पर वह इस पर केवल हंसते हैं और कहते हैं कि लोग कई बार पर्दे पर कलाकारों के तालमेल को उनकी असल जिंदगी से जोड़कर देखने लगते हैं। फरहान ने जनवरी में अपनी हेयरस्टाइलिस्ट पत्नी अधुना भवानी से अलग होने की घोषणा की थी। फरहान का संबंध ‘वजीर’ की उनकी सह अभिनेत्री अदिति राव हैदरी, ‘रॉक ऑन 2’ की अभिनेत्री श्रद्धा कपूर और ‘जिदंगी न मिलेगी दोबारा’ की अभिनेत्री कल्कि कोच्लिन से भी जोड़ा जा चुका है।

कलाकारों को लेकर ऐसी अफवाहें क्यों उठती हैं, यह पूछे जाने पर फरहान ने मीडिया को बताया, “मैं नहीं जानता कि अफवाहें आग की तरह क्यों फैल जाती हैं और अफवाहें क्यों शुरू हुई हैं। मुझे लगता है कि लोग पर्दे पर जो देखते हैं, वह उन्हें पसंद आता है और इसलिए पर्दे पर तालमेल को वे शायद उनकी असल जिंदगी की हकीकत समझने लगते हैं।” फरहान और अधुना ने अपने वैवाहिक संबंध को समाप्त करने के अपने आपसी और सौहार्दपूर्ण फैसले की घोषणा की थी। उन्होंने साथ ही कहा कि रिश्ता टूटने के बाद भी उनके बच्चे उनकी प्राथमिकता रहेंगे।

फरहान तभी से अपने करियर में व्यस्त रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर भी उन्होंने महिलाओं को समर्पित एक गीत पेश किया था। लड़कियों, पार्टियों और शराब पर बॉलीवुड गीतों के बढ़ते प्रचलन के बारे में उन्होंने कहा, “मैं नहीं मानता कि बॉलीवुड संगीत केवल लड़कियों, पार्टियों और शराब पर आधारित होता है। ऐसे भी संगीत हैं, जो इन चीजों पर नहीं है।” उन्होंने कहा, “यह श्रोता पर निर्भर करता है कि वे कैसा संगीत सुनना चाहते हैं।” फरहान ने इस बात पर खुशी जाहिर की कि फिल्मकार खास विषयों पर फिल्में बना रहे हैं।

फरहान ने कहा, “फिल्मी दुनिया में हम एक ऐसी जगह पर हैं, जहां ‘अलीगढ़’ जैसी फिल्म एक गंभीर मुद्दे को उठाती है। इसलिए मुझे लगता है कि हमारे जैसे दर्शकों के लिए जो केवल हल्के-फुल्के मनोरंजन के अलावा भी कुछ देखना चाहते हैं, ऐसी फिल्मों के बारे में बात करना जरूरी है।” हिंदी फिल्म उद्योग में हालांकि काफी प्रयोग हो रहे हैं, लेकिन केवल मारधाड़ वाली या रोमांटिक फिल्मों को ही ज्यादा तरजीह क्यों दी जाती है और संगीत या नृत्य जैसी कलाओं की गहराई में गोता लगाकर इन कलाओं से जुड़ी फिल्में क्यों नहीं बनाई जातीं, यह भी एक सवाल है। इस बारे में फरहान ने कहा, “निर्माता, कलाकार और निर्देशकों की अपनी पसंद होती है। यह कहना बेहद मुश्किल है कि कोई मारधाड़ वाली या रोमांटिक फिल्में ही क्यों बनाता है?”

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