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क्रिकेट की दुनिया के तीन सबसे ईमानदार खिलाड़ी, तीसरे नंबर पर है चौंकाने वाला नाम

 

नई दिल्ली। क्रिकेट एक ऐसा खेल है जिसे हर खेल से ज्यादा पंसद किया जाता है। हर गली में आपको बच्चे क्रिकेट खेलते नजर आ जाएंगे। कभी-कभी तो लगता है कि जैसे क्रिकेट ही हमारा राष्ट्रीय खेल है। खैर यहां हम किसी खेल को कम नहीं कह रहे हैं। वैसे तो हर खिलाड़ी सच्चा और ईमानदार होता है लेकिन कभी-कभी टाइम ही सही नहीं होता है। आज हम आपको उन खिलाड़ियों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनकी सच्चाई और ईमानदारी की लोग मिसाल देते हैं। जिन्होंने आज भी खेल भावनाओं को जिंदा रखा हुआ है।

महेंद्र सिंह धोनी: 07 जुलाई 1989 को रांची के झारखंड में जन्में महेंद्र सिंह का जन्म एक राजपूत परिवार में हुआ था। धोनी भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान है और भारत के सबसे सफल एक दिवसीय क्रिकेट कप्तान गिने जाते हैं। वह शुरुआत में एक असाधारण, उज्जवल व आक्रामक बल्लेबाज़ के नाम पर जाने गए, लेकिन धीरे-धीरे वो शांत होते चले गए। उनकी कप्तानी में भारत ने वर्ल्ड कप सहित तमाम ट्रॉफियां जीतीं। लोग उनकी ईमानदारी और सच्चाई की मिसाल देते हैं।

राहुल द्रविड़: राहुल शरद द्रविड़ (11 जनवरी 1973 को जन्मे) टीम इंडिया के सबसे ईमानदार क्रिकेटरों में से एक रहे हैं। अक्टूबर 2005 में वे भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान के रूप में नियुक्त किये गए और सितम्बर 2007 में उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।16 साल तक भारत का प्रतिनिधित्व करते रहने के बाद उन्होंने वर्ष 2012 के मार्च में अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय क्रिकेट के सभी फॉर्मैट से संन्यास ले लिया। भारत की अंडर 19 टीम को वर्ल्डकप जिताने वाले राहुल द्रविड़ क्रिकेट जगत में द वाल के नाम से जाने जाते है। द्रविड़ को काफी शांत खिलाड़ी माना जाता है और उन्हें कभी उन्हें चीटिंग करते हुए नहीं पाया गया है, इसलिए द्रविड़ सबसे सच्चे खिलाड़ियों में से एक है।

एडम गिलक्रिस्ट: एडम क्रेग गिलक्रिस्ट (जन्म 14 नवंबर 1971 बेलिंगन ,न्यू साउथ वेल्स में) एक पूर्व ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट खिलाड़ी है। जिनको गिली या चर्च के उपनामों से भी जाना जाता है। इन्होंने अपना पहला प्रथम श्रेणी क्रिकेट मैच 1992 में, पहला एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैच 1996 में और टेस्ट क्रिकेट मैच 1999 में खेला। इनके अलावा वह इंडियन प्रीमियर लीग में डेक्कन चार्जर्स और किंग्स इलेवन पंजाब की ओर से भी खेलते थे। भारतीय वैसे तो ऑस्ट्रलियाई खिलाड़ियों को पसंद नही करते पर ये खिलाड़ी सभी के लिए एक प्रेरणा रहे है। गिलक्रिस्ट की ईमानदारी का सबसे बड़ा सबूत तब देखने को मिला जब वो 2003 वर्ल्डकप सेमीफाइनल में आउट होने पर बिना अंपायर के निर्णय का इंतजार किए खुद को आउट मानकर बहार चले गए थे। गिलक्रिस्ट ऐसा एक बार नही 12 बार गिलक्रिस्ट कर चुके है।

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BRIJESH SINGH
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