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केएल सहगल शायद आज कुछ नहीं होते आगर ये इंसान न होता

आज केएल सहगल को शायद कोई नहीं जानता आगर ये इंसान न होता

आज केएल सहगल का जन्मदिन है। उनका जन्म जम्मू में हुआ था। सहगल को आज पूरी दुनिया में लोग पसंद करते हैं। लेकिन अगर इसके पीछे उनके एक दोस्त मेहरचंद का बहुत बड़ा हांथ हैं। शायद आज सहगल को कोई नहीं जानता अगर यह इंसान न होता।

केएल सहगल को हिंदी फिल्म उद्योग जो तत्कालीन समय के दौरान कोलकाता में केंद्रित था, का पहला सुपरस्टार माना जाता है।

सहगल के पिता अमरचंद सैगल जम्मू और कश्मीर के राजा के अदालत में तहसीलदार थे। उनकी मां केसरबाई सैगल एक गहरी धार्मिक हिंदू महिला थीं जिन्हे संगीत का बहुत शौक था। वह अपने पुत्र को धार्मिक कार्यों में लेकर करती थी जहां शास्त्रीय भारतीय संगीत के आधार पर पारंपरिक शैली में भजन और कीर्तन गाए जाते थे।

सहगल अपने काम की शुरुआत रेलवे टाइमकीपर के रूप में की थी। बाद में, उन्होंने रेमिंगटन टाइपराइटर कंपनी के लिए टाइपराइटर सेल्समैन के रूप में काम किया, जिससे उन्हें भारत के कई स्थान घूमने का मौका मिला। उनकी यात्रा के दौरान लाहौर के अनारकली बाज़ार में मेहरचंद जैन (जो बाद में शिलोंग में असम सोप फैक्ट्री शुरू करने के लिए चले गए) के साथ मित्रता हुई। मेहरचंद और कुंदन दोनो बाद में कलकत्ता चले गए जहां मेहफिल-ए- मुशैरा में लिप्त रहे। उन दिनों में सैगल एक उभरते गायक थे और मेहरचंद ने उन्हें अपनी प्रतिभा को निखारने लिए प्रोत्साहित किया। सैगल अक्सर टिप्पणी करते थे कि ‘आज वो जो कुछ भी है, मेहरचंद के प्रोत्साहन और शुरुआती समर्थन के कारण ही हैं’।

उन्होंने थोड़े समय के लिए होटल मैनेजर के रूप में भी काम किया। इस बीच गायन के लिए उनका जुनून जारी रहा और समय बीतने के साथ अधिक तीव्र हो गया।

1930 के दशक के शुरूआती दौर में, शास्त्रीय संगीतकार और संगीत निर्देशक हरिश्चंद्र बाली ने केएल सैगल को कलकत्ता ले गए और उन्हें आरसी बोराल से मिलवाया। आरसी बोराल ने तुरंत उनकी प्रतिभा को पसंद किया और सैगल को बीएन सरकार के कलकत्ता स्थित फिल्म स्टूडियो न्यू थियेटर्स में 200 रुपये प्रति माह पर रख लिया। इसके बाद से फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा।

यहां सुनिए केएल सहगल के कुछ सुपरहिट गीत

 

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Vineet Bajpai
the authorVineet Bajpai
Senior Reporter & Copy Editor