ऐसे कई बार होता है कि फ्लाइट कैंसिल हो जाती है या फ्लाइट में देरी हो जाती है। लेकिन अब अगर ऐसा होता है तो उस हाल में एयरलाइन कंपनी को आपको 20,000 रुपये तक हर्जाना देना पड़ सकता है। विमानन नियामक ने एक चार्टर में इसे प्रस्तावित किया है जो हवाई यात्रियों के अधिकारों और जिम्मेदारियों को सूचीबद्ध करता है।
नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) द्वारा प्रस्तावित चार्टर के मुताबिक अगर अगर किसी पैसेंजर को टिकट होने के बावजूद प्लेन में सवार होने नहीं दिया जाता है तो एयरलाइन को उसे 5,000 रुपए का मुआवजा देना होगा। कई बार फ्लाइट ओवरबुक होने पर पैसेंजर को बोर्डिंग की इजाजत नहीं दी जाती, जिसके कारण यात्रियों को परेशान होना पड़ता है। अब भारत जैसे देश में ऐसी घटनाएं तेजी से सामने आ रही हैं। आंकड़ों के मुताबिक भारत दुनिया के सबसे तेजी विस्तार करने वाले विमानन बाजारों में से एक है।
चार्टर के मुताबिक डीडीसीए ने पहली बार उन यात्रियों के लिए 20,000 के मुआवजे का प्रबंध किया है, जो विमान में देरी के कारण अपनी यात्रा नहीं कर पाते हैं। वहीं इसी तरह का मुआवजा उस सूरत में भी यात्रियों को दिया जाएगा जब किसी विमानन कंपनी की फ्लाइट कैंसिल होगी। वहीं अगर आपकी फ्लाइट आपकी बोर्डिंग के बाद अगले 120 मिनट तर उड़ान नहीं भरती है तो आप प्लेन से उतर सकते हैं और मुआवजे की मांग कर सकते हैं।
फेडरेशन ऑफ इंडियन एयरलाइंस (FIA) और दूसरे एयरलाइंस ने उस प्रपोजल पर भी ऐतराज किया है, जिसमें फ्लाइट रद्द होने से 24 घंटे पहले बताने या टिकट का पूरा पैसा वापस देने का प्रपोजल दिया गया है।