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सीतापुर : ये कुत्ते की कोई जंगली नई नस्ल तो नही, अब तक 12 बच्चों की मौत

UP के जनपद सीतापुर में आदमखोर कुत्तों का आतंक इस तरह बढ़ा हुआ हैं। मानो ये कुत्ते नही कोई आदमखोर भेडिये हो।  इस तपती गर्मी में कुत्ते पागल से हो गये हैं। और वो बच्चों को अपना शिकार बना रहे हैं। और बहुत सारे लोगों इन आदमखोर कुत्तों के शिकार भी चुके हैं, इलाके में कुत्तों का आतंक इस कदर हावी है कि लोग अपना सारा काम छोड़कर कुत्तों को मार रहे हैं। और बच्चे अपनी सुरक्षा के लिए लाठी और डंडा लेकर स्कूल जा रहे हैं।

 

इसके बावजूद प्रशासन कुंभकर्णी नींद में सोया रहा है। आज एक बार फिर आदमखोर कुत्तों ने एक बच्ची पर हमला कर दिया, उसकी हालत बहुत गंभीर हो गई। उसे गंभीर हालत में ट्रॉमा सेंटर रेफर किया गया है।

 

जानकारी के मुताबिक भगौतीपुर गांव निवासी अशोक की 10 वर्षीय बेटी संगीता अपनी दादी के साथ सुबह सात बजे के करीब खेत गई थी। इसी दौरान अचानक कुत्तों के झुंड ने बच्ची पर हमला बोल दिया। दादी के शोर मचाने पर लोग लाठी-डंडा लेकर दौड़े। किसी तरह संगीता को कुत्तों के चंगुल से बचाया गया लेकिन तब तक वह गंभीर रूप से घायल हो चुकी थी। परिवारीजन तत्काल संगीता को लेकर जिला अस्पताल सीतापुर पहुंचे, जहां से डॉक्टरों ने उसे ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया।

मालूम हो कि आदमखोर कुत्तों के हमले में अब तक 12 बच्चों की मौत हो चुकी है, जबकि 26 लोग घायल हुए हैं। विशेषज्ञों की टीम इन्हें पकड़ने में लगी है, फिर भी हमले जारी हैं। टीम का कहना है कि ये कुत्ते हैं, या जंगली जानवर हैं या फिर कोई नई नस्ल, इस संबंध में शोध चल रहा है। जांच के बाद ही कुछ स्पष्ट कहा जा सकेगा।

आपको बता दे इससे पहले नवंबर 2017 मे  श्रीनगर में कुत्तों का जबरदस्त आतंक  रहा था।  प्रदेश की राजधानी रायपुर से लेकर लोरमी तक कुत्तों का दहशत रहा था । लोरमी इलाके में भी कुत्ते नें एक ही गांव में बहुत लोगों को गंभीर रुप से घायल कर दिया था । पिछले तीन वर्षों में तकरीबन 16,000 लोगों को कुत्तों ने काटा है।

 

ऐसे करें  अदमखोर  कुत्तों से बचाव
अगर आपके समने कोई आक्रामक कुत्ता  आ जाए, तो आप बिल्कुल भी  भागें नहीं और ना आप  उस पर चिल्लाएं।  बस आप बिल्कुल सीधे  खड़े रहें,  और अपने हाथों को मोड़कर सीने पर रखें और आप उस समय कुत्ते को देखने कि बजय कुछ और  देखिये और घबराएं बिल्कुल भी नही,  कुत्ते  आपके चारों ओर सूंघनेगे।  उनको सूंघने  दें । बाद मे  कुत्ते  की  दिलचस्पी  आपमें खत्म हो जाएगी और वह आगे बढ़ जाएगा।

पशु चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि यह वैज्ञानिक जांच और दुनियाभर के पशुचिकित्सकों के तथ्यों पर आधारित है।  उन्होंने बताया कि सीने को हाथों से ढकना कुत्ते के हमला करने की स्थिति में शरीर के अहम अंग की रक्षा करने के लिए है।

राठर ने कहा कि अभिभावकों को भी सावधान रहने की जरुरत है। कि वे अपने बच्चों को आसपास के स्थानों पर कहीं भी अकेले ना भेजें जहां कुत्तों का झुंड घूमता हो।

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