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अपने देश ने नहीं दी मरने की इजाज़त तो दूसरे देश की एक संस्था ने की वैज्ञानिक की मरने में मदद

ऑस्ट्रेलिया के 104 साल के वैज्ञानिक डेविड गुडॉल ने स्विट्जरलैंड में एक फाउंडेशन की मदद से 10 मई को इस दुनिया को अलविदा कह दिया। यह जानकारी उनकी आत्महत्या में मदद करने वाली संस्था ने दी। आपको बता दें कि डेविड को अपने देश में आत्महत्या के लिए मदद मांगने से रोक दिया गया था।. वह किसी असाध्य रोग से ग्रस्त नहीं थे लेकिन उनका कहना था कि उनकी जिंदगी में अब कुछ जीने लायक नहीं रहा है और वह मरना चाहते हैं।

गुडॉल की ऑस्ट्रेलिया से स्विट्जरलैंड आने में मदद करने वाले संगठन ‘एक्जिट इंटरनेशनल’ के संस्थापक फिलिप नित्शके ने ट्विटर पर लिखा कि वैज्ञानिक ने शांतिपूर्ण तरीके से अंतिम सांस ली।

उन्होंने बताया कि लाइफ साइकल क्लीनिक में नेम्बुटल (इस तरह की आत्महत्या के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवा) के जरिये दिन में साढ़े दस बजे (अंतरराष्ट्रीय समयानुसार) वैज्ञानिक ने दम तोड़ा। पर्थ के एडिथ कोवन यूनिवर्सिटी के मानद रिसर्च असोसियेट गुडॉल एक हफ्ते पहले ऑस्ट्रेलिया से रवाना हुए थे और परिवार से मिलने के लिए फ्रांस के बोर्दो में रूके थे।

डेविड सोमवार को स्विटजरलैंड के बासेल पहुंचे। उन्होंने बुधवार को संवाददाताओं से कहा था कि मैं अब और जीना नहीं चाहता। मैं खुश हूं कि मेरे पास कल इसे खत्म करने का मौका होगा और इसे संभव करने में मदद के लिए यहां के चिकित्सा पेशे की सराहना करता हूं।

गुडॉल ने इस साल की शुरूआत में खुद से आत्महत्या करने की कोशिश की थी लेकिन वह नाकाम रहे। इसके बाद उन्होंने स्विस संगठन से मदद लेने का फैसला किया। उन्होंने कहा था कि अगर मैं ऐसा कर पाता तो यह सबके लिए ज्यादा आसान होता लेकिन बदकिस्मती से ऐसा नहीं हुआ। आत्महत्या में मदद करना अधिकतर देशों में गैरकानूनी है।

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Vineet Bajpai
the authorVineet Bajpai
Senior Reporter & Copy Editor