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गुणों की खान है मीठी मुलेठी, कई बीमारियों की है रामबाण दवा

कभी भारत को जंगलों का देश कहा जाता था और उन्हीं जंगलों के तमाम पेड़ पौधे कई घातक बीमारियों में राणबाण औषधिका काम करते थे। इन्हीं में से एक है मुलेठी। मुलेठी जो स्वाद में मीठी होती है लेकिन कई तरह के रोगों के लिए रामबाण इलाज का काम करती है।

मुलेठी कैल्शियम, ग्लिसराइजिक एसिड, एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटीबायोटिक, प्रोटीन और वसा के गुणों से भरपूर होती है। इसका इस्तेमाल नेत्र रोग, मुख रोग, कंठ रोग, उदर रोग, सांस विकार, हृदय रोग, घाव के इलाज के लिए सदियों से किया जा रहा है। यह बात, कफ, पित्त तीनों दोषों को शांत करके कई रोगों के उपचार में रामबाण का काम करती है।

पतंजलि आयुर्वेद हरिद्धार के आचार्य बालकृष्ण ने अनुसार मुलेठी के क्वाथ से आंखों को धोने से आंखों के रोग दूर होते हैं। मुलेठी की मूल चूर्ण में बरबर मात्रा में सौंफ का चूर्ण मिलाकर एक चम्मच सुबर-शाम खाने से आंखों की जलन मिटती है और आंखों की रोशनी बढ़ती है। मुलेठी को पानी में पीसकर उसमें रूई का फाहा भिगोकर आंखों पर बांधने से आंखों की लालिमा खत्म हो जाती है।

आचार्य बालकृष्ण ने अनुसार मुलेठी कान और नाक के रोग में भी लाभकारी है। मुलेठी और द्राक्षा से पकाए हुए दूध को कान में डालने से कर्ण रोग में लाभ होता है। 3-3 ग्राम मुलेठी तथा शुंडी में छह छोटी इलायची तथा 25 ग्राम मिश्री मिलाकर, क्वाथ बनाकर 1-2 बूंद नाक में डालने से नासा रोगों का शमन होता है।

मुंह के छाले मुलेठी मूल के टुकड़े में शहद लगाकर चूसते रहने से लाभ होता है। मुलेठी को चूसने से खांसी और कंठ रोग भी दूर होता है। सूखी खांसी में कफ पैदा करने के लिए इसकी 1 चम्मच मात्रा को शहद के साथ दिन में तीन बार चटाना चाहिए। इसका 20-25 मिली क्वाथ सुबह-शाम पीने से श्वास नलिका साफ हो जाती है। मुलेठी को चूसने से हिचकी दूर होती है।

आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि मुलेठी हृदय रोग में भी लाभकारी है। 3-5 ग्राम तथा कुटकी चूर्ण को मिलाकर 15-20 ग्राम मिश्री युक्त पानी के साथ रोज नियमित रूप से सेवन करने से हृदय रोगों में लाभ होता है। इसके सेवन से पेट के रोग में भी आराम मिलता है। मुलेठी का क्वाथ बनाकर 10-15 मिली मात्रा में पीने से उदरशूल मिटता है।

त्वचा रोग भी यह लाभकारी है। पफोड़ों पर मुलेठी का लेप लगाने से वे जल्दी पककर फूट जाते हैं। मुलेठी और तिल को पीसकर उससे घृत मिलाकर घाव पर लेप करने से घाव भर जाता है।

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Vineet Bajpai
the authorVineet Bajpai
Senior Reporter & Copy Editor