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2 जून की रोटी देने वाले अन्नदाता कर रहे हैं हड़ताल  

आज 2 जून है और इस दिन को लेकर एक बहुत ही फेमस कहावत कही जाती है। कि बहुत खुशकिस्मत होते हैं। वे लोग जिन्हें 2 जून की रोटी नसीब होती है।

आज हम बात कर रहे हैं दो जून की रोटी के बारे में और रोटी देने वाले अन्नदाता के जो महा हड़ताल कर रहे हैं और खून पसीने से से पैदा किये हुए अन्न को आज के दिन फेकने पर मजबूर है। दरअसल दो जून की रोटी से किसी महीने का मतलब नहीं है। बल्कि यह तो दो टाइम की रोटी के लिए कहा गया है। इसका मतलब है, दो समय यानि सुबह और शाम की रोटी से हैं।

आज हम आप सभी लोगो से 2 जून की रोटी और उनके अन्नदाता की समस्या पर बात कर रहे है। जो एक राज्य की नही बल्कि पुरे देश की हैं। ये समस्या देश की हैं, इसलिए हम सब की हैं क्योंकि हम या हमारे बुजुर्ग इसी जमीनी स्तर से जुड़े हुए हैं। अगर दो जून की रोटी मनानी हैं तो उसके दाता को भी बचाना पड़ेगा। क्योंकि जब वो नही रहेंगे तो कौन करेगा खेती ?

जब चुनाव का समय आता हैं तो हर एक पार्टी के नेता बड़े-बड़े वादे करते हैं और सभी पार्टियों के नेता जो एसी में सोते हैं और 5 स्टार होटल में खाना खाते हैं मखमल जैसे बिस्तर पर सोते हैं उनको इन मासूम किसानों को दर्द अचानक दिखने लगता हैं। वैसे ये बात हजम तो शायद उस किसान को भी नहीं होती हैं जिनको पहले ओय बुड्ढे कह कर बुलाते है तो वहीँ जब चुनाव के समय दादा और उसकी पत्नी को माता कहते हैं और झुक कर पैर भी छुते हैं। जिन्होंने शयद अपने माँ बाप के कभी पैर न छुए हो क्या बात हैं। पल में चोला बदलना कोई नेताओं से सीखे। ये बात मैं इसलिए बता रही हूँ क्योंकि इनकी बातो में आना और आज की समस्या उसी जुडी हैं। ये समस्या किसानों की नहीं बल्कि हम सब लोगो की हैं।

किसानों ने कल से शुरू कर दिया आंदोलन..

देश के करीब 7 राज्यों में किसानों ने कल से आंदोलन शुरू कर दिया है. 1 से 10 जून तक 130 किसान संगठन शहरों में फल- सब्जियां, दूध आदि की सप्लाई नहीं करेंगे. अपने आंदोलन को सफल बनाने के लिए किसान 30 नेशनल हाईवे पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं.

इस बार किसानों ने अपना आंदोलन का केंद्र मध्य प्रदेश को बनाया है. यहां 10 जगहों पर किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. वहीं महाराष्ट्र में 8, हरियाणा में 4, राजस्थान में 3, कर्नाटक में 2, केरला और जम्मू कश्मीर में एक-एक स्थान पर किसान अपना डेरा जमाएंगे.

इस बार किसानों ने जो मांगें सरकार के सामने रखी है वो है देश के किसानों का पूरा कर्जा माफ किया जाए, सभी फसलों पर लागत के आधार पर डेढ़ गुना लाभकारी मूल्य (MSP) दिया जाए, इसके अलावा छोटे किसानों की आय सुनिश्चित की जाए और फल, सब्जी, दूध के दाम भी लागत के आधार पर डेढ़ गुना समर्थन मूल्य पर तय किए जाएं.

 

मंदसौर गोलीकांड की बरसी को लेकर मरने वाले किसानों को श्रद्धांजलि…

6 जून को मंदसौर गोलीकांड की बरसी को लेकर मरने वाले किसानों को श्रद्धांजलि दी जाएगी. फिर 8 जून को किसान असहयोग दिवस के रुपए में मनाएंगे और आखिर में 10 जून को दोपहर 2 बजे तक पूरा भारत बंद करने का आह्वान किसान संगठनों ने किया है.

आपको बता दे कि राष्ट्रीय किसान संगठन को इस बार 200 संगठनों ने समर्थन दिया है. इस बार आंदोलन का स्वरुप अलग है. किसान शहरों में नहीं, बल्कि गांवों में रहकर अपना विरोध दर्ज करेंगे और शहरों में फल-सब्जी आदि की सप्लाई नहीं करेंगे. वहीं, राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के अध्यक्ष शिव कुमार शर्मा ने बताया कि इस बार आंदोलन को हमने ‘गांव बंद’ नाम दिया है. किसान शहर नहीं जाएंगे और गांवों में रहकर ही अपना विरोध दर्ज करेंगे.

किसान आन्दोलन या कांग्रेस आन्दोलन ….

किसान आंदोलन को कांग्रेस का बताए जाने पर कहा कि कोई भी दल जायज मांगों का समर्थन करता है तो अपराध नहीं है। मैं इस उम्र में क्या चुनाव लडूंगा। यह तो दूसरी शादी करने जैसा है। सरकार यदि गिरफ्तारी करती है तो हरियाणा के गुरनाम सिंह बागडोर संभालेंगे। 11 जून को भोपाल में महासंघ की बैठक होगी, जिसमें आगामी रणनीति तय की जाएगी। भारतीय किसान यूनियन के अध्यबक्ष बलबीर सिंह का कहना है कि केंद्र की कथित किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ किसान स्वेच्छा से आंदोलन कर रहे हैं। किसानों में इतना आक्रोश है कि वे खुद आंदोलन का हिस्सा बन रहे हैं।

उधर, किसान आंदोलन के बीच केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने गुरुवार को कहा है कि सरकार इस खरीफ सत्र से ही स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करेगी। उन्होंरने कहा कि किसानों को इसी सत्र में धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) मिलेगा।

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