आज हम आप लोग के सामने हमारे देश की सबसे बड़ी समस्या बढ़ता हुआ कचरा और कूड़ा जो हमारे पर्यावरण का सबसे ज्यादा प्रभावित कर रहा हैं। हम सभी लोग 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। जहाँ एक तरफ पर्यावरण दिवस के मौके पर लोग पौधे-पौधे लगाकर इस दिवस को मानते हैं,
वही दूसरी तरफ पर्यावरण प्रदूषण से पूरा विश्व जूझ रहा है। प्रदूषण के कारण दुनियाभर में हर साल न जाने कितनी बीमारिया जन्म लेती हैं और लाखों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती है।
इस बार पर्यावरण दिवस पर प्लास्टिक प्रदूषण को दूर करने की पहल की गई है, क्योंकि आज पर्यावरण के लिए सबसे बड़ा खतरा बन रहा है प्लास्टिक। विश्व पर्यावरण दिवस की इस साल की थीम है – ‘बीट द प्लास्टिक’।
हम रोजमर्रा की जिंदगी में प्लास्टिक का इस्तेमाल तो करते ही हैं, साथ ही इस्तेमाल करने के बाद उसे इधर उधर कहीं भी फेंक देते हैं। और इसको खाने के बाद न जाने कितने जानवर मौत के मुंह में समा जाते हैं। हम लोग गौ माता को बहुत मानते हैं पर हम लोग कभी यह नही सोचते हैं की जो पोलीथिन में करके घर का कूड़ा फेकते हैं वो यह बेजुबान गाय खां लेती हैं जिसके बात वो बीमार हो जाती हैं धीरे धीरे वो मौत के मुह में समां जाती हैं. उसके बाद भी हमें कोई फर्क नहीं पड़ता। हम लगातार प्लास्टिक से बने सामानों का इस्तेमाल करते हैं जैसे सब्जी लाने के प्लास्टिक के बैग, पानी पीने के लिए प्लास्टिक की बोतल आदि, जो हमारे स्वास्थ के लिए हानिकारक हैं।
भारत में सालाना 56 लाख टन निकलता हैं प्लास्टिक कूड़ा-
वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम के सर्वे के अनुसार, भारत में सालाना 56 लाख टन प्लास्टिक कूड़ा पैदा होता है। दुनियाभर में जितना कूड़ा सालाना समुद्र में फेंका जाता है, उसका करीब 60 प्रतिशत भारत में फेंका जाता है। यही नहीं, भारतीय रोजाना 15000 टन प्लास्टिक कचरे में फेंक देते हैं। प्लास्टिक से प्रदूषण के कारण पानी में रहने वाले करोड़ों जीव-जन्तुओं को अपनी जान गंवानी पड़ती है, लेकिन इसके बाद भी इसे पूरी तरह से ख़त्म करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। सरकार ने भले ही प्लास्टिक बैग में सामान देने पर रोक लगा दी है, लेकिन यह आदेश सिर्फ कागजों पर है। आपको हर दिन मार्केट में प्लास्टिक की पॉलीथिन में सब्जी दी जाती है।
पर्यावरण कण्ट्रोल बोर्ड के आशीष तिवारी का कहना हैं-
पर्यावरण कण्ट्रोल बोर्ड के आशीष तिवारी ने कहा- पर्यावरण प्रदूषण का सामना दुनिया में हर कोई कर रहा है और इसका जिम्मेदार पर्यावरण कण्ट्रोल बोर्ड को ठहराया जा रहा है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए आम जनता अपना काम कर रही है ?
साथ ही उन्होंने कहा कि लोगों को सबसे पहले अपने घर के वेस्ट को दो भागों में बांटना चाहिए। खाने का सामान एक तरफ और प्लास्टिक की बोतल, कागज ये सब चीजें अलग रखनी चाहिए ताकि वो कन्जूम हो सके। उससे किसी को नुकसान न हो। ऐसा करने से बड़े लेवल पर तो नहीं, लेकिन छोटे स्तर पर शुरुआत की जा सकती है।
पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के उपाए-
पॉलीथिन का इस्तेमाल हम लोग जितना हो सके उतना कम करे।
जब भी आप घर से बाहर सामान लेने निकले तो घर से कॉटन के बैग लेकर निकले। जिससे प्लास्टिक प्रदूषण रोकने के लिए एक पहल तो शुरू होगी।
पॉलीथिन का इस्तेमाल हम सब्जी के कूड़े में न करे क्योंकि सब्जी जानवर खाते हैं। तो इस बात का हमेशा ध्यान दे की पॉलीथिन से सब्जी का कूड़ा निकल कर बाहर फेंके।
जब हम सोचेंगे अपने देश के लिए तभी तो देश आपके लिए सोचेगा. और अगर हमारा पर्यावरण संतुलित रहेगा तभी हम और हमारे बच्चे स्वस्थ रहेंगे. ये अब आपको सोचना हैं की आप अपने बच्चों को बीमार देखना चाहते हैं या स्वस्थ. सोचिये ।