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बिहार कैबिनेट का फैसला : नीतीश सरकार ने ख़ारिज किया प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना, अब लागू की यह नयी योजना  

 बिहार सरकार ने प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना को ख़ारिज करते हुए बिहार कैबिनेट की बैठक में इसके बदले एक नई योजना को मंज़ूरी दे दी हैं। किसानों के लिए ‘बिहार राज्य फसल सहायता योजना’ के नाम से एक विशेष फसल बीमा योजना शुरू की है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को उनके सरकारी आवास पर हुई इस खास कैबिनेट की बैठक में इस योजना समेत 39 मुद्दों पर मुहर लगा दी गई हैं। इसमें लिये गये फैसले के बारे में कैबिनेट सचिव अरुण कुमार सिंह ने कहा कि बिहार देश में पहला राज्य है, जहां इस तरह की योजना शुरू की गयी है। इस योजना के लागू होने के बाद से पहले से चल रही सभी बीमा योजना बंद हो जायेगी या उनकी जगह यह नयी योजना ले लेगी। आपको बता दे की आभी बिहार में कृषि मंत्री बीजेपी के प्रेम कुमार हैं।

फ़सल बीमा योजना की जगह आर्थिक सहायता योजना

सहकारी विभाग के प्रमुख सचिव अतुल प्रसाद ने संवाददाताओं को बताया कि यह नई योजना प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की जगह आई है और यह खरीफ फसलों के समय में 2018 से लागू किया जाएगा।  उन्होंने किसानों को स्पष्ट किया कि यह आर्थिक सहायता योजना है न कि बीमा योजना। यह दोनों तरह के किसानों – रैयत और गैर रैयत – के लिए है।

रैयत और गैर रैयत योजना –

आपको बता दे रैयत या गैर-रैयत इस तरह की योजना को लाभ दोनों तरह के किसान उठा सकते हैं. लाभ लेने के लिए रैयत किसानों को अपनी जमीन का कागज प्रस्तुत करना होगा. जबकि, गैर-रैयत किसानों को एक स्व-घोषणा पत्र देना होगा, जो किसान सलाहकार या वार्ड सदस्य से अनुमोदित होगा. कृषि विभाग की अन्य अनुदान योजनाओं के तहत छह लाख से ज्यादा किसान ऑनलाइन रजिस्टर्ड हैं. फसल क्षति के रुपये सीधे आधार से जुड़े किसानों के बैंक खाते में ट्रांसफर किये जायेंगे. क्षति आकलन के तुरंत बाद सहायता राशि किसानों को दे दी जायेगी.

इस योजना की शुरुआत वर्ष 2018 के खरीफ मौसम से ही हो जायेगी। इसका लाभ लेने के लिए किसान को किसी तरह का प्रिमियम और निबंधन शुल्क देने की जरूरत नहीं पड़ेगी। सिर्फ किसानों को ऑनलाइन आवेदन करना होगा। इसमें किसी बीमा कंपनी की कोई संलिप्तता नहीं होगी। सरकार अपने स्तर से ही सीधा किसानों को इसका लाभ देगी। यह योजना किसानों के लिए पहले से चल रही तमाम योजनाओं मसलन डीजल अनुदान, कई तरह की सब्सिडी योजना समेत अन्य योजनाओं के अतिरिक्त होगी। डीजल अनुदान या अन्य योजनाओं का लाभ लेने वाले किसान भी इसका लाभ उठा सकते हैं। इस योजना में सरकार को करीब 300 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ेंगे।

इस दर पर मिलेगा फसल क्षति अनुदान

जिन निबंधित किसानों की फसल क्षति होगी, उनकी क्षति का आकलन फसल कटनी प्रयोग के माध्यम से कराया जायेगा। इसके बाद संबंधित इलाके की रैंडम चेकिंग होगी। इसके आधार पर यह तय हो जायेगा कि किस किसान को कितने रुपये मिलेंगे। अगर निर्धारित मात्रा से फसल क्षति ज्यादा होती है। उपज दर के सापेक्ष वास्तविक उपज दर में 20 फीसदी तक की कमी होती है, तो साढ़े सात हजार प्रति हेक्टेयर की दर से अधिकतम दो हेक्टेयर के लिए इस दर से सहायता राशि दी जायेगी।

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