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वो रात जब एक आदेश के बाद छिन गए थे जनता के अधिकार, जानें- आपातकाल का सच

नई दिल्ली स्पेशल डेस्क।  25 और 26 जून 1975 की रात को आपातकाल के आदेश पर राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के दस्तखत के साथ देश में आपातकाल लागू हो गया। अगली सुबह पुरे देश में इंदिरा गांधी ने रेडियो पर यह संदेश दिया कहा- भाइयों और बहनों, राष्ट्रपति जी ने आपातकाल की घोषणा की है। साथ ही कहा इससे सामान्य लोगों को डरने की जरूरत नहीं है।

आपको बता दे दिल्ली के रामलीला मैदान में हुई 25 जून की रैली की खबर पूरे देश में न फैल सके इसके लिए दिल्ली के बहादुर शाह जफर मार्ग पर स्थित अखबारों के दफ्तरों की बिजली रात में ही काट दी गई। रात को ही इंदिरा गांधी के विशेष सहायक आर के धवन के कमरे में बैठ कर संजय गांधी और ओम मेहता उन लोगों की लिस्ट बनाने लगे जिन्हें गिरफ्तार किया जाना था।

क्या वजह थी आपातकाल लगाने की

 12 जून, 1975 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जगमोहन लाल सिन्हा ने इंदिरा गांधी का चुनाव निरस्त कर उन पर छह साल तक चुनाव न लड़ने का प्रतिबंध लगा दिया और उनके मुकाबले हारे और श्रीमती गांधी के चिरप्रतिद्वंद्वी राजनारायण सिंह को चुनाव में विजयी घोषित कर दिया था।

राजनारायण सिंह की दलील थी कि इंदिरा गांधी ने चुनाव में सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया, तय सीमा से अधिक पैसा खर्च किया और मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए गलत तरीकों का इस्तेमाल किया। अदालत ने इन आरोपों को सही ठहराया था। इसके बावजूद श्रीमती गांधी ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया। तब कांग्रेस पार्टी ने भी बयान जारी कर कहा था कि इन्दिरा गांधी का नेतृत्व पार्टी के लिए अपरिहार्य है।

इसी दिन गुजरात में चिमनभाई पटेल के विरुद्ध विपक्षी जनता मोर्चे को भारी विजय मिली। इस दोहरी चोट से इंदिरा गांधी बौखला गईं। अपनी भौखलाहट की वजह से इन्दिरा गांधी ने अदालत के इस निर्णय को मानने से इनकार करते हुए सर्वोच्च न्यायालय में अपील करने की घोषणा की और 26 जून को आपातकाल लागू करने की घोषणा कर दी गई।

आपको बता दे कि उस समय आकाशवाणी ने रात के अपने एक समाचार बुलेटिन में यह प्रसारित किया कि अनियंत्रित आंतरिक स्थितियों के कारण सरकार ने पूरे देश में आपातकाल की घोषणा कर दी गई है। आकाशवाणी पर प्रसारित अपने संदेश में इंदिरा गांधी ने कहा था, ‘जब से मैंने आम आदमी और देश की महिलाओं के फायदे के लिए कुछ प्रगतिशील कदम उठाए हैं, तभी से मेरे खिलाफ गहरी साजिश रची जा रही थी।इस दौरान जनता के सभी मौलिक अधिकारों को स्थगित कर दिया गया था। सरकार विरोधी भाषणों और किसी भी प्रकार के प्रदर्शन पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया।

 

  • आपातकाल का कहर

मीसा और डीआईआर के तहत देश में एक लाख से ज्यादा लोगों को जेलों में ठूंस दिया गया। आपातकाल के खिलाफ आंदोलन के नायक जय प्रकाश नारायण की किडनी कैद के दौरान खराब हो गई थी । कर्नाटक की मशहूर अभिनेत्री डॉ. स्नेहलता रेड्डी जेल से बीमार होकर निकलीं, जिसके बाद उनकी मौत हो गई

देश के जितने भी बड़े नेता थे, सभी के सभी सलाखों के पीछे डाल दिए गए। एक तरह से जेलें राजनीतिक पाठशाला बन गईं। बड़े नेताओं के साथ जेल में युवा नेताओं को बहुत कुछ सीखने-समझने का मौका मिला। लालू-नीतीश और सुशील मोदी जैसे बिहार के नेताओं ने इसी पाठशाला में अपनी सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक पढ़ाई की।

एक तरफ नेताओं की नई पौध राजनीति सीख रही थी, दूसरी तरफ देश को इंदिरा के बेटे संजय गांधी अपने दोस्त बंसीलाल, विद्याचरण शुक्ल और ओम मेहता की तिकड़ी के जरिए चला रहे थे।

संजय गांधी ने वीसी शुक्ला को नया सूचना प्रसारण मंत्री बनवाया जिन्होंने मीडिया पर सरकार की इजाजत के बिना कुछ भी लिखने-बोलने पर पाबंदी लगा दी, जिसने भी इनकार किया उसे जेलों में डाल दिया गया।

 

  • संजय गांधी के पांच सूत्रीय एजेंडे

संजय गांधी ने देश को आगे बढ़ाने के नाम पर पांच सूत्रीय एजेंडे पर काम करना शुरू कर दिया था।

परिवार नियोजन
दहेज प्रथा का खात्मा
वयस्क शिक्षा
पेड़ लगाना
जाति प्रथा उन्मूलन

बताया जाता है कि सुंदरीकरण के नाम पर संजय गांधी ने एक ही दिन में दिल्ली के तुर्कमान गेट की झुग्गियों को साफ करवा डाला लेकिन पांच सूत्रीय कार्यक्रम में ज्यादा जोर परिवार नियोजन पर दिया था। लोगों की जबरदस्ती नसबंदी कराई गई।

19 महीने के दौरान देश भर में करीब 83 लाख लोगों की जबरदस्ती नसबंदी करा दी गई। कहा तो ये भी जाता है कि पुलिस बल गांव के गांव घेर लेते थे और पुरुषों को पकड़कर उनकी नसबंदी करा दी जाती थी।

  • क्या हैं देश में आपातकाल की व्यवस्था

देश में आंतरिक अशांति को खतरा होने, बाहरी आक्रमण होने अथवा वित्तीय संकट की स्थिति में आपातकाल की घोषणा की जाती है। हमारे संविधान में तीन तरह के आपातकाल की व्यवस्था की गई है।

  • अनुच्छेद 352

राष्ट्रीय आपात काल की घोषणा युद्ध, बाह्य आक्रमण और राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर की जाती है। आपात काल के दौरान सरकार के पास असीमित अधिकार हो जाते हैं। सरकार उन अधिकारों का किसी भी रुप में इस्तेमाल कर सकती है। आपात कल को मंत्रिमंडल की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा घोषणा की जाती है। आपात काल के दौरान मौलिक अधिकार से संबंधित अनुच्छेद 19 स्वत: निलंबित हो जाता है। लेकिन अनुच्छेद 20 और 21 अस्तित्व में रहता है।

  • अनुच्छेद 356

इसके जरिए राज्यों में संवैधानिक व्यवस्था नाकाम रहने पर राज्पाल की रिपोर्ट पर राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रपति शासन लागू किया जाता है। राज्य के न्यायिक कार्यों को छोड़कर केंद्र राज्य के पूरे अधिकार अपने हाथ में ले लेती है।

 

  • अनुच्छेद 360

इसके जरिए देश में वित्तीय आपातकाल की घोषणा की जाती है। हालांकि इस अनुच्छेद का इस्तेमाल आज तक नहीं किया गया है।

 

 

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