नई दिल्ली। संसद का मानसून सत्र बुधवार 18 जुलाई से शुरू होने जा रहा है। पहले की ही तरह इस बार भी मानसून सत्र के हंगामेदार रहने की संभावना है। हालांकि सरकार ने विपक्षी दलों से तीन तलाक विधेयक, पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा प्रदान करने संबंधी विधेयक, बलात्कार के दोषियों को सख्त दंड के प्रावधान वाले विधेयक समेत कई महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराने में सहयोग मांगा है। संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि मानसून सत्र के लिए सूचीबद्ध विधेयक लोकहित के हैं और सरकार इन्हें पारित कराने के लिए विपक्षी दलों से सहयोग का आग्रह करती है।
आइए आपको उन पांच विधेयक के बारे में बताते हैं जिनको पास कराने पर सरकार का जोर रहेगा।
1. 123वां संवैधानिक संशोधन बिल: सरकार का जोर राष्ट्रीय अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने पर होगा। ये बिल ओबीसी कोटे के अंतर्गत अति पिछड़े वर्गों के लिए कोटा प्रस्तावित करने में पीएम मोदी का रास्ता साफ कर सकता है। इस विधेयक को आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
2. संविधान (अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति) अध्यादेश (संशोधन) विधेयक, 2016: इस बिल में 1950 के संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश, और संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश में संशोधन करके एससी-एसटी सूची बाहर से की गई जनजातियों को शामिल करने की बात कही गई है। ऐसा हो जाने पर अदालत इस कानून में बदलाव नहीं कर सकेगी। छत्तीसगढ़ में होने वाले चुनाव को देखते हुए इस बिल को पास कराने पर सरकार की नजरें होंगी। झारखंड चुनाव में आदिवासी इलाकों में बीजेपी का वोट प्रतिशत बढ़ा है।
3. सरोगेसी (रेगुलेशन) विधेयक: ये बिल नवंबर 2016 से ही अटका हुआ है। इस बिल को लेकर काफी विवाद हुआ था। बिल के अनुसार, सरोगेट मदर उस दंपति की नजदीकी रिश्तेदार होनी चाहिए जो बच्चा नहीं पैदा कर सकते हैं। हालांकि बिल में ‘नजदीकी रिश्तेदार’ टर्म की विस्तृत जानकारी नहीं है। इस बिल में कमर्शियल सरोगेसी पर पूरी तरह बैन करने की बात कही गई है।
4. मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) विधेयक: इसे तीन तलाक बिल भी कहा जाता है। इस बिल को लेकर सरकार अधिक उत्साहित है और सरकार का कहना कि ये उनके एजेंडे में सबसे ऊपर है। इस बिल को लेकर मानसून सत्र के दौरान हंगामे के आसार जताए जा रहे है।
5. राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक, 2017: राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक 2017 के तहत चार स्वायत्त बोर्ड बनाने का प्रावधान है। इनका काम अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट शिक्षा को देखने के अलावा चिकित्सा संस्थानों की मान्यता और डॉक्टरों के पंजीकरण की व्यवस्था को देखना होगा।