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कारगिल से पहले का वो युद्ध, जिसमें भारत की सेना ने पाकिस्तान को चटाई थी धुल

कारगिलसाभार - इंटरनेट

नई दिल्ली। 3 मई 1999 के दिन शुरू हुआ कारगिल युद्ध 26 जुलाई 1999 को समाप्त हुआ था। जब ये युद्ध समाप्त हुआ तब हमारे देश के वीर जवानों ने पाकिस्तान को आर्थिक और राजनितिक तौर पर जबरदस्त हानि पहुंचाई। आज जानिए भारत द्वारा लड़ी गई वो लड़ाईयां जिसने दुश्मन देश को झुकने पर मजबूर कर दिया

कारगिल

साल 1947 तारीख 23 अक्तूबर कश्मीर घाटी में पाकिस्तान के कबाइलियों ने काफी समय से उत्पात मचाया हुआ था। लेकिन उनकी तरफ से सबसे बड़ा हमला 23 अक्तूबर 1947 को हुआ। यह हमला मुजफ्फराबाद की ओर से किया गया था। इस हमले में पूरा मुजफ्फराबाद तहस नहस हो गया। इसका एक कारण था वहां राज्य पुलिस का कम संख्या में होना। और दूसरा कारण पुंछ के लोगों का हमलावरों के साथ शामिल होना था। इसके बाद उड़ी में उसी दिन सेना और कबाइलियों के बीच युद्ध हुआ।

सेना ने कबाइलियों को रोकने के लिए उस पुल को ध्वस्त कर दिया जहां से हमलावर गुजरने वाले थे। यह पुल ब्रिगेडियर राजेन्द्र सिंह के नेतृत्व में ध्वस्त किया था। बाद में ब्रिगेडियर राजेन्द्र सिंह एक हमलावर की गोली लगने से शहीद हो गए। यह राजेन्द्र सिहं ही थे जिन्होंने उड़ी और बारामूला को बर्बाद होने से बचाया था। जम्मू कश्मीर में इन कबाइलियों का सामना करने के लिए भारतीय सेना विमान और सड़क मार्ग से पहुंच गई। अंत में इन्हें मुंह की खानी पड़ी।

साल 1965 का वो घातक युद्ध जिसे आज तक कोई भुला नहीं

साल 1965 के घातक युद्ध यह युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ था। इसके पीछे का कारण कश्मीर नहीं बल्कि गुजरात में मौजूद कच्छ के रण की सीमा था। इस सीमा में पाकिस्तान ने 1965 में दखल देना शुरू कर दिया और हद तो तब हो गई जब यहां एक कच्ची सड़क बनाई गई। फिर 5 अगस्त 1965 को भारत के 26,000 जवानों ने लाइन ऑफ कंट्रोल को पार किया। उस वक्त पाकिस्तान ने कश्मीर के उड़ी और पुंछ जैसे इलाकों को अपने कब्जे में ले रखा था। भारत ने भी पाकिस्तान को शिकस्त पहुंचाने के लिए पीओके से करीब 8 किमी की दूरी पर स्थित हाजी पीर पास को अपने कब्जे में ले लिया।

 

 

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Mohammad Faique
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