नई दिल्ली। जब कभी भारतीय क्रिकेट टीम के ऐतिहासिक जीत पर नजर डालेंगे तो एक खिलाड़ी के योगदान को आप नजरंदाज नहीं कर सकते। चाहे वो 2002 की नेटवेस्ट सीरीज़ हो या फिर 2007 का ट्वेंटी ट्वेंटी विश्व कप। 2011 के क्रिकेट विश्व कप में तो उनका प्रदर्शन भुलाया नहीं जा सकता। यहां बात भारत के सिक्सर किंग युवराज सिंह की हो रही हैं।
टीम में अपनी जगह बनाने के लिए कर रहे हैं संघर्ष
आज युवराज टीम में अपनी जगह बनाने के लिए संघर्ष कर रहें है। यहां तक अभी कुछ दिन पहले खत्म हुए आईपीएल में उनका प्रदर्शन इतना खराब रहा की उनको आधे से ज्यादा मैचो में तो खिलाया ही नहीं गया।
नहीं भुलाया जा सकता इस खिलाड़ी का योगदान
युवराज का इंटरनेशनल टीम में डेब्यू करने वाला मैच हो, या कोई और मैच युवराज ने अपना जलवा हर जगह कायम रखा। भारत की सबसे युवा टीम जब पहली बार 2007 में T20 विश्व कप खेलने गई। तब इस खिलाड़ी ने तो गेंदबाजों के छक्के छुड़ा दिए। इसके अलावा युवराज भारत को साल 2000 के अंडर-19 विश्वकप जिताने में भी हीरो साबित हुए थे। जिसके लिए उन्हें मैन ऑफ़ द टूर्नामेंट का ख़िताब भी मिला।
2011 क्रिकेट विश्व कप में लगा दी थी जान
युवराज ने 2011 के क्रिकेट वर्ल्डकप फाइनल जिताने में भी अपनी जान लगा दी थी। मैच में दो अहम विकेट चटकाने के साथ 24 रनों की अहम पारी भी खेली। वर्ल्ड कप के कुल नौ मैचों में युवराज ने 362 रन बनाए, इसके साथ 15 विकेट भी लिए। चार बार मैन ऑफ द मैच का खिताब भी अपने नाम किया।
गिरता फॉर्म और बढ़ती उम्र टीम में वापसी के बिच पैदा कर रही है अड़चन
पूरा देश चाहता है की युवराज टीम में वापसी करें, और लोग उम्मीद भी कर रहे हैं। लेकिन इस खिलाड़ी का गिरता फॉर्म और बढ़ती उम्र दोनो इनकी टीम में वापसी के बीच अड़चन पैदा कर रही हैं।इसलिए शायद अब इस सिक्सर किंग का जलवा अब फीका पड़ता जा रहा हैं। अब क्रिकेट के जानकार इन्हे सन्यास लेने की बात कह रहे हैं।