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मुस्लिम महिला की पुकार, पीएम लागू करवाएं समान नागरिक संहि‍ता

तीन तलाक, समान नागरिक संहिता, पीएम नरेंद्र मोदी, 18 वर्षीय एक मुस्लिम युवती अर्शियाarshiya tripple divorce victim
तीन तलाक, समान नागरिक संहिता, पीएम नरेंद्र मोदी, 18 वर्षीय एक मुस्लिम युवती अर्शिया
arshiya tripple divorce victim

तीन तलाक की 18 वर्षीय पीड़िता ने की पीएम नरेंद्र मोदी से अपील

पुणे। तीन तलाक और समान नागरिक संहिता के खिलाफ लोगों से लॉ कमीशन द्वारा जवाब मांगने के बाद देश में इस ज्‍वलंत मुद्दे को लेकर एक बड़ी बहस छिड़ गई है। मुस्लिम समाज साफ तौर पर इस मुद्दे पर बंटा हुआ दिखाई पड़ रहा है। एक तरफ जहां आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इसे मुसलमानों के खिलाफ आंतरिक जंग की संज्ञा दे डाली वहीं दूसरी तरफ तमाम मुस्लिम महिलाएं एक आंदोलन के रूप में इसके पक्ष में खड़ी दिखाई दे रही हैं।

इन्‍ही सब के बीच तीन तलाक से पीडि़त व इसको लेकर मुहिम छेड़ने वाली 18 वर्षीय एक मुस्लिम युवती ने पीएम नरेंद्र मोदी से समान नागरिक संहिता को तत्काल लागू करने का आग्रह किया है। युवती ने अपने पत्र में लिखा है कि इस कुप्रथा से मुस्लिम महिलाओं की कई पीढ़िया ‘तबाह’ हो चुकी है।

महाराष्‍ट्र के बारामती की रहने वाली अर्शिया की शादी 16 वर्ष की आयु में एक अमीर सब्जी कारोबारी मोहम्मद काजिम बगवान से हुई थी। शादी को हुए दो वर्ष भी नहीं हुए थे कि अर्शिया के पति ने उसे कागज पर तीन बार तलाक लिखकर तलाक दे दिया। काजिम का कहना था कि उसके दिल में अर्शिया के लिए कोई जगह नहीं है। उसके बाद काजिम ने अर्शिया को उसके 8 महीने के बच्चे के साथ घर से निकाल दिया।

एक अंग्रेजी अखबार से बात करते हुए अर्शिया ने कहा, “मैं पीएम से अनुरोध करती हूं कि वो मेरी जैसी महिलाओं की मदद करें और इस तीन तलाक की प्रथा को खत्म करें जिसने अनगिनत महिलाओं की जिंदगी तबाह कर दी है।”

अर्शिया का कहना है कि उसे पति की तरफ से तीन तलाक के लिए नोटिस मिला था जिसे मैंने अस्वीकार कर दिया। अर्शिया बताती हैं कि इस फैसले को मैंने कोर्ट में चुनौती देने का फैसला किया है। अर्शिया बताती हैं, “मुझसे यह वादा किया गया था कि शादी के बाद भी मेरी पढ़ाई जारी रहेगी लेकिन वादा पूरा नहीं हुआ। जब मेरी शादी हुई थी तब मैंने 11वीं की परीक्षा पास कर ली थी। अब मैं दुबारा पढ़ाई शुरू करना चाहती हूं और अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती हूं।”

अर्शिया के पिता निशार बगवान कहते हैं, “सरकार को समान नागरिक संहिता को लागू करने के लिए अवश्य प्रयास करने चाहिए। किसी को भी मेरी बेटी की तरह परेशानी का सामना ना करना पड़े। मैं एक गरीब सब्जी विक्रेता हूं और यह मेरी सबसे बड़ी गलती थी कि मैंने अपनी बेटी की पढ़ाई बंद कर उसकी शादी करवा दी।” एक दशक से महिलाओं के अधिकारों को लेकर आंदोलन कर रहे मुस्लिम सत्यशोधक मंडल अर्शिया को मदद कर रहा है

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