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अटल बिहारी वाजपेयी अगर ना होते प्रधानमंत्री, तो आज नहीं उठा पाते ‘मुफ्त कॉलिंग’ का लाभ

अटल बिहारी वाजपेयी

नई दिल्ली। देश के पूर्व प्रधानमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता अटल बिहारी वाजपेयी का निधन हो गया है। वो 93 वर्ष के थे। बता दें, अटल बिहारी बाजपेयी पिछले नौ हफ्ते से एम्स में भर्ती थे।

अटल बिहारी वाजपेयी

1999 में टेलीकॉम पॉलिसी को भारत में लाये थे

बता दें कि अटल बिहारी वाजपेयी ने साल 1999 में नई टेलीकॉम पॉलिसी को भारत में लाये। इसके लिए उन्होंने टेलीकॉम कंपनियों का तय लाइसेंस फीस हटाकर रेवन्यू शेयरिंग की व्यवस्था लागू कर कर दी। इसके बाद 15 सितंबर 2000 को भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) का गठन हुआ और इसपर काम शुरू हुआ।

हालांकि, इसके बाद इसे लेकर कई विवाद भी हुए। लेकिन अटल जी ने एक बार फिर 29 मई 2000 को टेलीकॉम डिस्प्यूट सेटलमेंट अपीलेट ट्रिब्यूनल (TDSAT) का भी गठन किया।

धीरूभाई अंबानी का रिलायंस ग्रुप भी शामिल था

सरकार की नई टेलीकॉम पॉलिसी के बाद कई प्राइवेट कंपनियों ने टेलीकॉम सेक्टर में अपना कदम रखा। जिसमें धीरूभाई अंबानी का रिलायंस ग्रुप भी शामिल था। इस तरह रिलायंस ग्रुप ने साल 2002 में रिलायंस इंफोकॉम नाम से टेलीकॉम सेक्टर में अपना कदम रखा। इसके बाद टेलिकॉम सेक्टर में क्रांति सी आ गयी और इसके बाद एक के बाद एक प्राइवेट कंपनियों नें टेलिकॉम सेक्टर में अपना कदम रखा।

टेलिकॉम सेक्टर में अपनी पैठ जमाने के बाद रिलायंस इंफोकॉम ने देश के हर परिवार को ध्यान में रखते हुए टेलीकॉम सेवा के साथ सस्ते मोबाइल फोन भी उपलब्ध कराया। इसके लिए कंपनी ने मात्र 500 रुपए में फोन बांटे। इस तरह अटल बिहारी वाजपेयी की टेलीकॉम पॉलिसी के बदौलत हम सब मुफ्त में कॉलिंग का लाभ ले रहे हैं।

आज अटल जी हमारे बीच नहीं हैं। हम अटल जी के निधन पर उन्हें पुनः अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। सदियां बीत जाएंगी लेकिन अटल जी जैसा जननेता शायद ही कभी पैदा होगा।

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Manish Srivastava