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आखिर क्यों मनाया जाता है रक्षाबंधन? जानें इसके पीछे की कहानी

हर साल की तरह इस साल भी रक्षाबंधन का त्योहार नजदीक आ गया है। बाजारों में रौनक बढ़ गई है। मिठाइयों की दूकाने  सज गई है। बहन अपने भाई को खुश करने के लिए नए नए तरीके सोच रही है। भाई अपनी बहन को गिफ्ट देने के लिए बाजारों से गिफ्ट लेने की सोच रहे है।

यह त्योहार भाई बहन के अतुट रिश्ते को दर्शाता है। इस साल यह त्योहार 26 अगस्त को मनाया जाएगा। इस त्यौहार का प्रचलन सदियों पुराना बताया जाता है। पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार रक्षाबंधन मनाने के पीछे कई कथाएं प्रचलित हैं।

एक कथा के अनुसार असुरों के राजा बलि ने अपने पराक्रम से पृथ्वी के तीनों लोकों पर अधिकार जमा लिया था। राजा बलि के आधिपत्‍य को देखकर इंद्र देवता घबराकर भगवान विष्‍णु के पास मदद मांगने पहुंचे।

भगवान विष्‍णु ने वामन अवतार धारण किया और राजा बलि से भिक्षा मांगने पहुंच गए। वामन भगवान ने बलि से तीन पग भूमि मांगी। पहले और दूसरे पग में भगवान ने धरती और आकाश को नाप लिया।

अब तीसरा पग रखने के लिए कुछ बचा नहीं थी तो राजा बलि ने कहा कि तीसरा पग उनके सिर पर रख दें।

इस तरह देवताओं की चिंता खत्‍म हो गई। वहीं भगवान राजा बलि के दान-धर्म से बहुत प्रसन्‍न हुए। उन्‍होंने राजा बलि से वरदान मांगने को कहा तो बलि ने उनसे पाताल में बसने का वर मांग लिया।

भगवान विष्‍णु के पाताल जाने के बाद सभी देवतागण और माता लक्ष्‍मी चिंतित हो गए। अपने पति भगवान विष्‍णु को वापस लाने के लिए माता लक्ष्‍मी गरीब स्‍त्री बनकर राजा बलि के पास पहुंची और उन्‍हें अपना भाई बनाकर राखी बांध दी।

बदले में भगवान विष्‍णु को पाताल लोक से वापस ले जाने का वचन ले लिया। उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि थी और मान्‍यता है कि तभी से रक्षाबंधन मनाया जाने लगा।

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Manish Srivastava