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“आपातकाल की तुलना में आज देश का माहौल ज़्यादा डराने वाला है”

देश में प्रधानमंत्री की हत्या के साजिश में जिन पांच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारी हुई है। उनके बचाव में याचिका दाखिल करने वाले पांच लोगो में से एक इतिहासकार रोमिला थापर भी हैं। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि देश में पिछले चार सालों में डर और भय का माहौल बढ़ा है और ये माहौल आपातकाल की तुलना में ज़्यादा डराने वाला है।

उन्होंने आगे कहा कि, महाराष्ट्र पुलिस ने इन पांच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के घर पर पहुंच कर कहा कि आपको गिरफ़्तार किया जाता है।  हमलोगों ने अपनी याचिका में ये कहा है कि ये लोग स्थापित और जानेमाने लोग हैं, कोई क्रिमिनल नहीं हैं कि आप इन लोगों को उठाकर जेल में डाल दें। इस पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई, कोर्ट ने इन लोगों को एक सप्ताह तक अपने-अपने घर पर नज़रबंद रखने का आदेश दिया है। उन्हें जेल नहीं भेजने का आदेश दिया गया। सुप्रीम कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई होगी।

उन्होंने कहा कि मैं इन लोगों को व्यक्तिगत तौर पर जानती हूं। अगर आप किसी को गिरफ़्तार करने पहुंचते हैं तो आपके पास पूरी जानकारी होनी चाहिए कि आप उन्हें क्यों गिरफ़्तार कर रहे हैं। गिरफ़्तारी की प्रक्रिया भी होती है कि आप वजह बताते हुए उन्हें अपनी बात रखने का मौका दें।

उन्होंने आगे कहा इन लोगों पर पुणे के भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा में शामिल होने का आरोप लगाया गया है। इनमें से कुछ लोग तो वहां शारीरिक तौर पर उपस्थित भी नहीं थे। इन लोगों पर ऐसे आरोप लगाए गए हैं जैसे उन्होंने बंदूक या फिर लाठी उठाकर हिंसा की हो। लेकिन ये सारे लोग लिखने वाले और पढ़ने-पढ़ाने वाले लोग हैं। इस आरोप में हिंसा का मतलब क्या है?

उन्होंने आगे कहा कि, पांच साल पहले ऐसी स्थिति नहीं थी। बीते चार सालों में डर, भय और आतंक का माहौल बढ़ा है। सरकार का रवैया ज़्यादा अथॉरिटेरियन हो गया है, अल्पसंख्यक, दलित और मुसलमानों के प्रति जिस तरह का बर्ताव हो रहा है, वह चिंतित करने वाला है।

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Manish Srivastava