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बाढ़ के बाद केरल में रैट फीवर का कहर, निगलीं 15 जिंदगियां, जानें क्या है ये बला

नई दिल्ली। केरल में बाढ़ के बाद रैट फीवर ने 15 जिंदगियां निगल ली हैं। इसका प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है। अस्पतालों में इस बीमारी से पीड़ित सैकड़ों की संख्या में लोग अपना इलाज करा रहे हैं। अधिकारियों ने बताया कि लगभग 350 लोगों में रैट फीवर की शिकायत मिली है जिनका इलाज प्रदेश के विभिन्न अस्पतालों में किया जा रहा है।

पिछले पांच दिनों में इनमें से 150 मामले सकारात्मक पाए गए हैं। सबसे ज्यादा लोगों में कोझिकोड और पथानमतिट्टा जिलों में इस बीमारी के लक्षण मिले हैं। कोझिकोड में इसके सबसे ज्यादा मामले पाए जाने के बाद कोझिकोड मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में इसके लिए औरों से अलग एक पृथक वार्ड खोल दिया गया है।

स्वास्थ्य मंत्री के के शैलजा ने कहा कि केरल में अगले तीन सप्ताह तक हाई अलर्ट रहेगा। उन्होंने कहा, “घबराने की कोई जरूरत नहीं है। ऐसे मामले बाढ़ के कारण बढ़ गए हैं। कई दिशा-निर्देश जारी होने के बावजूद लोग अनसुना कर रहे हैं।” उन्होंने कहा कि सभी अस्पतालों में जरूरी दवाओं का भंडारण कर दिया गया है।

क्या है रैट फीवर

रैट फीवर बेक्टीरिया से फैलने वाली बीमारी है जो खासकर गंदी मिट्टी और और गंदे पानी में फैलते हैं। रैट फीवर का बैक्टीरिया किसी जानवर के जरिए गंदे पानी या गंदी मिट्टी में पहुंचता और धीरे धीरे लोगों में फैल जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक जंगली और पालतु दोनों तरह के जानवरों का इस बीमारी को फैलाने में बड़ा हा थ होता है। अगर किसी की त्वचा दूषित पानी में डूबने या तैरने की वजह से बैक्टीरिया के संपर्क में आई है तो उन्हें ये बीमारी हो सकती है।

इस दौरान अगर शरीर पर पहले से ही किसी तरह का घाव हो तो इस तरह के बैक्टीरिया जल्द ही संपर्क में आते हैं। रैट फीवर के बैक्टीरिया उस भीगी मिट्टी, घास या पौधों में जिंदा रहते हैं जिनपर इस बैक्टीरिया से ग्रसित जानवर ने पेशाब किया होता है। कभी-कभी इसका संक्रमण बैक्टीरिया से दूषित खाना खाने, कोई दूषित चीज चुभ जाने या फिर किसी बैक्टीरिया से दूषित पेय पदार्थ पीने से भी हो सकता है।

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BRIJESH SINGH
the authorBRIJESH SINGH