लखनऊ: देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक पर आए ऐतिहासिक फैसले के बाद भारत में दो वयस्क लोगों के बीच सहमति से बनाए गए संबंध अब अपराध नहीं माने जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली शीर्ष अदालत की संवैधानिक पीठ ने यह फैसला सुनाया है।
गौरतलब है कि चीफ़ जस्टिस दीपक मिश्रा 2 अक्टूबर को रिटायर होने जा रहे हैं। उनके कार्यकाल में अब क़रीब 20 वर्किंग डे बचे हैं और उनके सामने कई ऐसे मामले हैं जो देश की तस्वीर बदलने का दम रखते हैं।
इन्ही में से एक मामला राम मंदिर का है। सुप्रीम कोर्ट इस बात का निर्णय करेगी कि क्या 1994 के एम इस्मायल फ़ारुक़ी बनाम यूनियन ऑफ़ इंडिया में पांच जजों की संवैधानिक पीठ के आदेश को दोबारा परखेगी या नहीं।
कोर्ट ने 20 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने इस पर फैसला सुरक्षित रखा था। सुप्रीम कोर्ट राम मंदिर टाइटल सूट से पहले अब इस पहलू पर दोबारा सुनवाई कर रहा है कि मस्जिद में नमाज पढना इस्लाम का अभिन्न हिस्सा है या नहीं।
कोर्ट ने ये कहा था पहले ये तय होगा कि संविधान पीठ के 1994 के उस फैसले पर फिर से विचार करने की जरूरत है या नहीं कि मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम का इंट्रीगल पार्ट नहीं है। 1994 में पांच जजों के पीठ ने राम जन्मभूमि में यथास्थिति बरकरार रखने का निर्देश दिया था। गौरतलब है कि उम्मीद जताई जा रही है कि रिटायरमेंट से पहले दीपक मिश्रा इनमें से कुछ पर फ़ैसला दे सकते हैं।