उत्तर प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी भाजपा, और विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी और बसपा के पार्टी दफ्तर को लेकर दायर की गयी याचिक पर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में सुनवाई हुई। कोर्ट ने राज्य संपत्ति विभाग के नियमों पर सवाल उठाए हैं। राजनीतिक दलों के कार्यालय के लिए सरकारी भवन आवंटन पर कोर्ट ने कहा कि जब राजनीतिक दल चंदा इक्कठा करते है तो इनको सरकारी बंगले क्यों मिलने चाहिए। इसके साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता मोती लाल यादव से विभागीय नियमों को भी चैलेंज करने के लिए कहा है।
हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने मौजूदा समय में मंत्रियों के सरकारी आवास में हो रहे निर्माण को लेकर भी निर्देश दिए है। मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह, स्वाति सिंह के सरकारी भवनों को लेकर निर्देश देते हुए कोर्ट ने कहा कि इसको एफिडेविट के साथ फ़ाइल किया जाये। साथ ही नियम विरुद्ध निर्माण को लेकर याचिकाकर्ता सप्लीमेंट्री ऐफिडेविट दायर करे। कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनाई 20 सितंबर तय की है।
गौरतलब है कि इस मामले में अधिवक्ता मोती लाल यादव ने हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी जिसमें कहा गया कि राज्य संपत्ति विभाग के नियमों को ताक पर रखकर राजनैतिक दलों ने अपने कार्यालयों का विस्तार किया है। इन राजनैतिक पार्टियों ने सत्ता में रहते सरकारी बंगलो को मर्ज करके पार्टी ऑफिस कार्यालयों का विस्तार किया और अवैध निर्माण भी कराया।