नई दिल्ली। महंगाई के बोझ तले दबी जनता को केंद्र की मोदी सरकार ने बड़ी राहत दी है। सरकार ने पेट्रोल और डीजल के दाम में 2.50 रुपये प्रति लीटर की कमी की है। केंद्र सरकार ने उत्पाद कर में 1.50 रुपये प्रति लीटर की दर से कटौती कर उपभोक्ता को लगातार बढ़ रहे ईंधन के दाम से थोड़ी राहत दिलाने की कोशिश की है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक के बाद अरुण जेटली ने बताया कि केंद्र सरकार ने तेल में लगने वाले उत्पाद शुल्क में 1.50 रुपये प्रति लीटर की कटौती करने का फैसला लिया है, जबकि एक रुपये प्रति लीटर का बोझ तेल बेचने वाली सरकारी कंपनियां वहन करेंगी।
अरुण जेटली ने इस दौरान बताया कि तेल की कीमतों में बढ़ोतरी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल में तेजी और दूसरे वैश्विक कारणों से है। मौजूदा वक्त में तेल की कीमतें 4 साल में सबसे ज्यादा हैं। कच्चे तेल की ब्याज दरें 3.2 प्रतिशत हो गई है जो अबतक सबसे ज्यादा है। इन दोनों कारणों से वैश्विक बाजार पर सबसे ज्यादा असर हो रहा है।
क्यों बढ़ रही हैं तेल की कीमतें?
वैश्विक बाजार में क्रूड ऑयल का दाम 4 साल के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है. बताया जा रहा है कि ओपेक देशों के उत्पादन नहीं बढ़ाने के फैसले से क्रूड के दाम में उछाल आया है. सरकारी तेल कंपनियां (इंडियन ऑयल, हिंदुस्तान पेट्रोलियम, भारत पेट्रोलियम) देशभर में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में जारी बढ़ोतरी के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की महंगाई और डॉलर के मुकाबले रुपए की गिरती कीमत को जिम्मेदार बता रही हैं.