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यूरोप की ट्रेनों जैसी दिखती है भारत में बनी ये ट्रेन, राजधानी-शताब्दी को छोड़ देगी पीछे

नई दिल्ली। देश की पहली इंजन-लेस ट्रेन, ‘ट्रेन 18’ 29 अक्टूबर से दौड़ने के लिए तैयार है। यह ट्रेन ‘सेल्फ प्रपल्शन मॉड्यूल’ पर 160 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार तक चल सकती है। इसकी तकनीकी विशिष्टताओं के चलते इसकी गति सामान्य ट्रेन से अधिक होगी। कुल 16 कोच वाली यह ट्रेन सामान्य शताब्दी ट्रेन के मुकाबले कम वक्त लेगी। इस ट्रेन को शहर में स्थित इंटिग्रल कोच फैक्टरी (आईसीएफ) द्वारा 18 महीने में विकसित किया गया है। बताया जा रहा है कि ये ट्रेन शताब्दी-राजधानी जैसी हाईस्पीड ट्रेनों की जगह लेगी।

इस सेमी हाई-स्पीड ट्रेन में ऑटोमैटिक स्लाइडिंग दरवाजे और सीढ़ियां होंगी। यात्रियों के मनोरंज के लिए वाई-फाई और इंफोटेनमेंट की सुविधा भी दी गई है। इसके अलावा जीपीएस, बायो-वैक्यूम सिस्टम के साथ मॉड्यूलर टॉयलेट और ग्लास विंडो ट्रेन में दिया गया है। ये पूरी ट्रेन एसी चेयर कार होगी, जिसमें आम यात्रियों के लिए आरामदायक कुर्सियां और दिव्यांगों के लिए एक कोच में अलग से व्यवस्था की गई है।

ट्रेन में यात्री सूचना के लिए एलईडी स्क्रीन और स्पीकर लगाए गए हैं, वहीं सामान रखने वाला रैक बड़ा बनाया गया है। प्रत्येक कोच में 44-78 यात्री आराम से सफर कर सकते हैं। पहले रेक में 16 चेयर कार कोच होंगे, जिसमें दो एग्जीक्यूटिव चेयर कार होंगे जिनमें 56 यात्री बैठ सकते हैं। नॉन-एग्जीक्यूटिव चेयर कार में 78 सीटें होंगी। ‘ट्रेन 18’ 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ेगी।

ये ट्रेन 29 अक्टूबर से ये ट्रेन पटरी पर ट्रायल के लिए उतरेगी। बिना ईंजन वाली यह ट्रेन पूरी तरह से भारत में बनी है। बाक़ी ट्रेनों की तरह इसके न तो डब्बे बदले जाते हैं और न ही इसमें ईंजन लगा होता है। एक ट्रेन के सारे कंपोनेंट्स मिलकर यह एक सेट की तरह चलता है। इसलिए इसे ट्रेन सेट के नाम से जाना जाता है।

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BRIJESH SINGH
the authorBRIJESH SINGH