नई दिल्ली| विपक्षी सदस्यों ने बुधवार को राज्यसभा में सरकार को नोटबंदी और जम्मू एवं कश्मीर के नगरोटा में हुए आतंकवादी हमले को लेकर घेरने की कोशिश की। भारी शोर-शराबे और हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही बाधित हुई। सदन की कार्यवाही पहले 11 बजे शुरू होने के बाद भी हंगामे के कारण नहीं चल सकी और इसे दोपहर 12 बजे तक स्थगित करनी पड़ी। उसके बाद जैसे ही कार्यवाही 12 बजे शुरू हुई, विपक्षी सदस्य खड़े होकर ‘जय जवान जय किसान’ के नारे लगाने लगे। सभापति ने प्रश्नकाल शुरू चलने देने की बात कही, जिसे नजरअंदाज कर वे हंगामा करते रहे।
सत्ता पक्ष ने भी यही नारा लगाना शुरू कर दिया, जिस पर सभापति हामिद अंसारी ने कहा, “सदन में पूर्ण सहमति है।”हालांकि हंगामा न रुकता देख अंसारी ने सदन की कार्यवाही दोपहर दो बजे तक के लिए फिर स्थगित कर दी।
इससे पहले, पूर्वाह्न् 11 बजे सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी सदस्यों ने नगरोटा हमले में शहीद हुए सेना के जवानों और नोटबंदी के बाद कतारों में खड़े होने के दौरान जान गंवाने वाले 80 से भी अधिक लोगों को श्रद्धांजलि देने की मांग की।
सदन में प्रतिपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने सबसे पहले यह मुद्दा उठाया।उन्होंने कहा, “नगरोटा में दो वरिष्ठ अधिकारियों समेत हमारे सात जवान शहीद हुए हैं। सदन को सबसे पहले उन्हें और उसके बाद सरकार की गलत नीति (नोटबंदी की) के कारण जान गंवाने वाले 82 लोगों को श्रद्धांजलि देनी चाहिए।”
तृणमूल कांग्रेस सांसद सुखेंदु शेखर रॉय ने भी शहीदों और ‘बैंकों की कतारों में खड़े जान गंवाने वालों’ को श्रद्धांजलि देने की मांग की।बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की नेता मायावती, जनता दल (युनाइटेड) के नेता शरद यादव और समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता राम गोपाल यादव ने भी यही मांग रखी।
यादव ने नोटबंदी के बाद बैंकों की कतारों में खड़े होने के दौरान जान गंवाने वालों को 10 लाख रुपये का मुआवजा देने की मांग भी दोहराई।हंगामा बंद न होने के कारण सभापति ने सदन की कार्यवाही पहले दोपहर 12 बजे तक और बाद में दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।